कटघरे में जस्टिस सिस्टम: 9 फर्जी मुकदमे, 120 तारीखें, 40 बार पेशी और 80 हजार के मेंटिनेंस के आदेश ने तो कहर बरपा दिया
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कटघरे में जस्टिस सिस्टम: 9 फर्जी मुकदमे, 120 तारीखें, 40 बार पेशी और 80 हजार के मेंटिनेंस के आदेश ने तो कहर बरपा दिया

Atul Subhash Suicide Case: अतुल सुभाष मरने से पहले हजार बार मरा होगा. 24 पन्नों का सुसाइड नोट और डेढ़ घंटे के वीडियो में जो कुछ भी अतुल सुभाष ने बताया है, वो किसी की भी रूह कंपा देने के लिए काफी है. अफसोस! हमारा सिस्टम अपनी गति से चलता रहेगा और अतुल सुभाष मरते रहेंगे. 

अतुल सुभाष (फाइल फोटो)

पेशा: एआई इंजीनियर, जॉब लोकेशन: बेंगलुरू और परमानेंट एड्रेस: पूसा रोड, समस्तीपुर. यह इंजीनियर अतुल सुभाष का संक्षिप्त बायो है. अतुल पढ़ा लिखा वेल मेंटेन प्रोफाइल वाला युवा था पर अंदर ही अंदर वह खोखला हो गया था. हमारे जस्टिस सिस्टम ने उसे अंदर से तोड़ दिया था. 34 साल की उम्र में ही वह हमसे विदा हो गया और उसके आरोपी हमारी न्याय व्यवस्था है. यह व्यवस्था फंसाने वाले को हजार रास्ते देती है और खुद को बचाने वाले के लिए रास्ता संकरी करती चली जाती है. कानून के इसी लूपहोल ने अतुल को हमसे छीन लिया. कहने को हम इतने बड़े लोकतंत्र में रहते हैं, लेकिन अभी तक हम कानून की बारीकियों से खिलवाड़ करने से रोकने के लिए कोई विधान नहीं बना पाए हैं. पूरा देश जानता है कि दहेज उत्पीड़न और घरेलू हिंसा के खिलाफ जो कानून बनाए गए हैं, उसका कैसे कैसे दुरुपयोग होता है पर उसके लिए हम कोई ठोस कानूनी इंतजाम नहीं कर पाए हैं. अतुल तो आज मरा है पहले तो वह तिल तिलकर मर रहा होगा. कितनी बार मरा होगा.

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अतुल ने सुसाइड करने से पहले जो वीडियो बनाया, उस पर लिखा था जस्टिस इज ड्यू. वो तो ड्यू ही रहेगा. अतुल को इंसाफ कैसे मिलेगा. उसने तो हम सब पर इतना बड़ा बकाया छोड़कर विदा ले लिया. समस्तीपुर के वैनी थाना क्षेत्र के पूसा रोड के रहने वाले 34 वर्षीय एआई इंजीनियर अतुल सुभाष ने 1.21 घंटे का एक वीडियो बनाकर पत्नी और ससुराल पक्ष के पांच लोगों पर मानसिक रूप से प्रताड़ित करने का आरोप लगाया है. पुलिस, प्रशासन, महिला आयोग आदि के अलावा पूरे सिस्टम को कटघरे में खड़ा किया है. 

अतुल अंदर से कितना टूट गया होगा कि उसने सुसाइड नोट में लिखा है कि मरने के बाद भी इंसाफ न मिले तो मेरी अस्थियां कोर्ट के सामने गटर में बहा दी जाएं. क्या हम उसकी यह अंतिम इच्छा भी पूरी कर पाएंगे? इंसाफ मिलना तो दूर की बात है. अतुल की शादी उत्तर प्रदेश के जौनपुर की निकिता सिंघानिया से 2019 में हुई थी और उसकी जिंदगी में तभी भूचाल आ गया, जब शादी के कुछ समय बाद ही निकिता अचानक बेंगलुरु छोड़कर जौनपुर लौट गई. लौटने के बाद उसने पति समेत ससुरालियों पर दहेज उत्पीड़न और घरेलू हिंसा का केस दर्ज करा दिया. 

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24 पन्नों का सुसाइड नोट और डेढ़ घंटे का वीडियो... कितनी पीड़ा में जी रहा था अतुल. सुसाइड नोट और वीडियो में अतुल ने पत्नी निकिता सिंघानिया, सास निशा सिंघानिया, साला अनुराग सिंघानिया उर्फ पीयूष और चचेरे ससुर सुशील सिंघानिया को मौत का जिम्मेदार ठहराया है. अतुल ने जौनपुर कोर्ट के फैसले का भी जिक्र करते हुए कहा, पत्नी ने दहेज उत्पीड़न, मारपीट, अप्राकृतिक दुष्कर्म सहित कुल नौ फर्जी मुकदमे दर्ज कराए. कोर्ट में 120 तारीखें लग चुकी हैं और पेशी के लिए वह 40 बार खुद बेंगलुरु से जौनपुर आ चुका है. माता पिता अलग से चक्कर काटते थे. आरोप है कि ससुरालियों ने पैसे ऐंठने के लिए साजिश रची है. 

अतुल ने सुसाइड नोट और वीडियो में आरोप लगाया है कि जौनपुर की प्रिंसिपल फैमिली कोर्ट जज ने उस पर तीन करोड़ रुपये की एलिमनी देने का दबाव बनाया. अतुल का दावा है कि रिश्वत देने से मना करने पर हर महीने 80 हजार रुपये मेंटिनेंस देने का आदेश जारी कर दिया गया. इस बारे में अतुल पक्ष के अधिवक्ता दिनेश कुमार मिश्रा ने बताया, लड़का और लड़की अच्छी जॉब करते थे और उनकी आय बेहतर थी. कोर्ट ने बच्चे के भरण पोषण के लिए लड़के को 40 हजार प्रतिमाह देने का आर्डर दिया था. इसके खिलाफ अतुल को हाईकोर्ट जाना चाहिए था. अधिवक्ता ने कहा, जज पर लगाए गए आरोप निराधार हैं. अधिवक्ता ने यह भी कहा कि हो सकता है कि लड़की के घरवालों ने सुलह के पैसे की मांग ज्यादा की हो या तो ब्लैकमेल किया हो, इसलिये उसे ऐसा निर्णय लेना पड़ा. अधिवक्ता ने यह भी बताया कि जुलाई से अतुल तारीख पर नहीं आ रहा था.

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दूसरी ओर, लड़की के परिजनों से मीडिया के लोगों ने बात करनी चाही तो उन्हें अपशब्द बोलने के अलावा धमकी दी जा रही है. मीडियाकर्मियों को यह कहकर धमकाया जा रहा है कि तुम्हारे ऊपर भी केस भी दर्ज कर देंगे.

Disclaimer: आपने खुद को जिंदगी नहीं दी है. आपकी जिंदगी पर पूर्ण रूप से आपका अधिकार नहीं है. प्रकृति भी आपके जीवन की हिस्सेदार है. इसलिए जिंदगी को आप यूं ही नहीं गंवा सकते. यह कानूनन अपराध है और ऐसे किसी भी कृत्य का हनन करना चाहिए. हम इस तरह के किसी भी कृत्य के साथ नहीं है. जिंदगी खुलकर जीना चाहिए. गम और हंसी और चलते रहते हैं.

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