`मरने पर भी इंसाफ न मिले तो मेरी अस्थियां कोर्ट के सामने गटर में बहा दी जाएं`, क्या हम अतुल की अंतिम इच्छा पूरी कर पाएंगे?
Atul Subhash Suicide Case: अतुल सुभाष अब दुनिया से जा चुका है. जाते जाते उसने सिस्टम पर तमाम सवाल खड़े कर दिए हैं. इन सवालों का जवाब हमें खोजना होगा, नहीं तो कोई और अतुल सुभाष ऐसे ही हमें उलाहना देते हुए विदा हो जाएगा.
AI Engineer Atul Subhash Suicide Case: एआई इंजीनियर अतुल सुभाष चला गया पर हमारे सामने एक बड़ा सा क्वेश्चन मार्क छोड़कर गया है. जिंदा रहते वह मरता रहा तो क्या उसके मरने के बाद इंसाफ मिल पाएगा? अगर फिर भी इंसाफ न मिला तो...? तो फिर अतुल ने एक विकल्प दिया है. अतुल ने अपने डेढ़ घंटे के वीडियो और 24 पेज की सुसाइड नोट में जाहिर किया है कि अगर उसे इंसाफ न मिल सका तो उसकी अस्थियां कोर्ट के सामने गटर में बहा देना. अतुल के मन की संवेदना को समझिए, ये सब बोलते या लिखते हुए अतुल सुभाष कई बार मर चुका होगा. मौत तो उसकी बाद में हुई लेकिन तिल तिलकर मरना शायद इसी को कहते हैं.
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34 साल... अरे ये भी कोई जाने की उम्र होती है. इतनी उम्र में कई लोगों की शादी होती है. हालात का मारा अतुल अपने मां बाप की परेशानियां, अपनी दुश्वारियां, पत्नी और बच्चों का विछोह, सिस्टम से लुटा पिटा होने के बाद शायद जीवन से कोई उम्मीद न दिखी होगी, तभी वह हम सभी को छोड़कर निकल पड़ा अनंत यात्रा पर. पर यह कोई विकल्प नहीं है. ऐसे हारकर जाना भी अतुल को नहीं चाहिए था. जीवन संघर्ष करा रही थी तो उसे संघर्ष करना चाहिए था और जब वह जीतकर निकलता तब खुद के लिए किसी सिकंदर से कम नहीं होता. खैर... अब ये सब बीत चुका है.
दहेज उत्पीड़न और घरेलू हिंसा के खिलाफ कानून महिलाओं को उत्पीड़न से बचाने के लिए बनाए गए थे, लेकिन कुछ महिलाएं उसका दुरुपयोग करती हैं. सुसाइड नोट और उसके डेढ़ घंटे का वीडियो बताता है कि अतुल सुभाष इसी उत्पीड़न का शिकार हुआ. इस तरह के कानूनों पर कोई चेक्स एंड बैलेंस न होने से अतुल जैसों को हम खो देते हैं.
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अतुल की शादी उत्तर प्रदेश के जौनपुर की निकिता सिंघानिया से 2019 में हुई थी और उसकी जिंदगी में तभी भूचाल आ गया, जब शादी के कुछ समय बाद ही निकिता अचानक बेंगलुरु छोड़कर जौनपुर लौट गई. लौटने के बाद उसने पति समेत ससुरालियों पर दहेज उत्पीड़न और घरेलू हिंसा का केस दर्ज करा दिया. सुसाइड नोट और वीडियो में अतुल ने पत्नी निकिता सिंघानिया, सास निशा सिंघानिया, साला अनुराग सिंघानिया उर्फ पीयूष और चचेरे ससुर सुशील सिंघानिया को मौत का जिम्मेदार ठहराया है.
अतुल ने जिक्र किया है कि दहेज उत्पीड़न, मारपीट, अप्राकृतिक दुष्कर्म सहित कुल नौ फर्जी मुकदमों के लिए अब तक कोर्ट में 120 तारीखें लग चुकी हैं और पेशी के लिए वह 40 बार खुद बेंगलुरु से जौनपुर आ चुका है. माता पिता अलग से चक्कर काटते थे. आरोप है कि ससुरालियों ने पैसे ऐंठने के लिए साजिश रची है.
सुसाइड नोट और वीडियो में अतुल ने आरोप लगाया है कि जौनपुर की फैमिली कोर्ट जज ने उस पर तीन करोड़ रुपये की एलिमनी देने का दबाव बनाया. अतुल का यह भी आरोप है कि रिश्वत देने से मना करने पर हर महीने 80 हजार रुपये मेंटिनेंस देने का आदेश जारी कर दिया गया.
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हालांकि अतुल पक्ष के ही अधिवक्ता दिनेश कुमार मिश्रा ने बताया, कोर्ट ने बच्चे के भरण पोषण के लिए लड़के को 40 हजार प्रतिमाह देने का आर्डर दिया था. इसके खिलाफ अतुल को हाईकोर्ट जाना चाहिए था. जज पर लगाए गए आरोप निराधार हैं. अधिवक्ता ने कहा कि हो सकता है कि लड़की के घरवालों ने सुलह के पैसे की मांग ज्यादा की हो या तो ब्लैकमेल किया हो, इसलिये उसे ऐसा निर्णय लेना पड़ा.
Disclaimer: आपने खुद को जिंदगी नहीं दी है. आपकी जिंदगी पर पूर्ण रूप से आपका अधिकार नहीं है. प्रकृति भी आपके जीवन की हिस्सेदार है. इसलिए जिंदगी को आप यूं ही नहीं गंवा सकते. यह कानूनन अपराध है और ऐसे किसी भी कृत्य का हनन करना चाहिए. हम इस तरह के किसी भी कृत्य के साथ नहीं है. जिंदगी खुलकर जीना चाहिए. गम और हंसी और चलते रहते हैं.