झारखंड: सरयू राय ने कहा रघुवर दास को कहा भ्रष्ट, लगाया 21 करोड़ की लूट का आरोप
2005 में नगर विकास मंत्री और वित्त मंत्री रहते रघुवर दास ने रांची के सिवरेज ड्रेनेज स्कीम को तैयार करने के लिए निविदा शर्तों को ताक पर रखकर तीन करोड़ रुपए की जगह 24 करोड़ रुपए में मेनहार्ट को परामर्शी नियुक्त किया.
Trending Photos
)
जमशेदपुर: झारखंड के जमशेदपुर पूर्वी से निर्दलीय प्रत्याशी सरयू राय ने क्षेत्र से बीजेपी प्रत्याशी और मुख्यमंत्री रघुवर दास के कार्यकाल को दागदार बताते हुए आरोप लगाया है कि 2005 में नगर विकास मंत्री और वित्त मंत्री रहते रघुवर दास ने रांची के सिवरेज ड्रेनेज स्कीम को तैयार करने के लिए निविदा शर्तों को ताक पर रखकर तीन करोड़ रुपए की जगह 24 करोड़ रुपए में मेनहार्ट को परामर्शी नियुक्त किया, जिसमें 21 करोड़ रुपए के सरकारी धन की लूट-खसोट की गई. राज्य के किसी मंत्री या मुख्यमंत्री पर इससे बड़ा दाग और क्या हो सकता है?
मुख्यमंत्री रघुवर दास के पूर्व मंत्री सरयू राय ने बिष्टुपुर स्थित अपने आवास पर सोमवार को मीडिया से कहा कि 2003 में तत्कालीन नगर विकास मंत्री बच्चा सिंह ने रांची के सिवरेज ड्रेनेज स्कीम को तैयार करने के लिए ओआरजी मार्ग को तीन करोड़ रुपए में परामर्शी नियुक्त किया था. ओआरजी प्रारंभिक प्रोजेक्ट रिपोर्ट भी सरकार को दे दी थी, लेकिन 2005 में रघुवर दास नगर विकास मंत्री सह वित्त मंत्री बनते ही बिना नोटिस ओआरजी का समझौता रद्द कर दिया और नया परामर्शी नियुक्त करने के लिए ग्लोबल टेंडर निकाला.
इसके बाद आए निविदाओं को मूल्यांकन समिति ने रद्द करते हुए कहा कि सभी निविदाकर्ता अयोग्य हैं. ये निविदा की शर्तों को पूरा नहीं करते हैं. शर्त के अनुसार, निविदाकर्ता का वार्षिक औसत टर्नओवर 40 करोड़ रुपए हो और तीन साल का टर्नओवर जमा करे. मेनहार्ट ने केवल दो साल का टर्नओवर जमा किया, फिर भी उसे 24 करोड़ रुपए में परामर्शी बहाल कर लिया गया. इतना ही नहीं रघुवर दास ने निविदा मूल्यांकन समिति को निविदा रद्द करने की बजाए कतिपय शर्तों को बदलकर मूल्यांकन करने को कहा.
विपक्ष ने मामले को विधानसभा में उठाया, जिसके बाद सरयू राय के सभापतित्व में तीन सदस्यों की समिति बनाई गई, जिसने मेनहार्ट को अयोग्य करार दिया और इस नियुक्त करने के लिए दोषियों पर कार्रवाई करने की अनुशंसा की.
यहां रघुवर दास ने विधानसभा अध्यक्ष को दो बार पत्र लिखकर कोशिश की कि समिति की जांच पूरी नहीं हो. मामला रांची हाईकोर्ट में गया, जहां कोर्ट ने प्रार्थी को निगरानी आयुक्त के पास जाने को कहा और निर्देश दिया कि अगर गड़बड़ी हुई है तो नियमानुसार कार्रवाई हो. निगरानी के तकनीकी कोषांग ने इसकी जांच की और पाया कि मेनहार्ट की नियुक्ति से लेकर निविदा के निष्पादन तक में गड़बड़ी है.
सरयू राय ने कहा कि तीन करोड़ की जगह 24 करोड़ रुपए में मेनहार्ट को परामर्शी नियुक्त करने और जांच में नियुक्ति अवैध पाए जाने के बावजूद अब तक कोई कार्रवाई नहीं होने पर भी यदि मुख्यमंत्री रघुवर दास कहते हैं कि वे बेदाग हैं, तो दाग की उनकी परिभाषा अलग होगी. जनता की नजर में रघुवर दास दागदार हैं और जनता की अदालत में इसका फैसला होगा.
More Stories