दरभंगा : 11 वर्षों से बांग्लादेश के जेल में बंद सतीश की होगी रिहाई, पटना से हुआ था लापता
Advertisement

दरभंगा : 11 वर्षों से बांग्लादेश के जेल में बंद सतीश की होगी रिहाई, पटना से हुआ था लापता

गुमशुदगी की घटना के लगभग 4 वर्षों के बाद 2012 में सतीश के परिजनों को जान में जान तब आई जब उन्हें रेड क्रॉस सोसायटी के माध्यम से एक पत्र प्राप्त हुआ, जिसमें उन्हें सुचित किया गया था कि सतीश ढाका के लक्ष्मीपुर स्थित जेल में बंद है.

11 वर्षों से बांग्लादेश के जेल में कैद था सतीश. (फाइल फोटो)

दरभंगा: बिहार के दरभंगा (Darbhanga) जिले के हायाघाट प्रखंड के मनोरथा गांव निवासी कला देवी का बेटा सतीश चौधरी पिछले 11 वर्षों से बांग्लादेश (Bangladesh) के जेल में कैद है, जो 12 सितंबर को आजाद हो रहा है. दर्शना गेडे बॉर्डर पर बॉर्डर गार्ड्स सतीश चौधरी को भारत के हवाले करेंगे. इस बात की जानकारी मिलते ही सतीश के भाई मुकेश दरभंगा से रवाना हो चुके हैं. परिजन सहित पूरे गांव में खुशी की लहर है.

सतीश चौधरी 12 अप्रैल 2008 को पटना के गांधी मैदान स्थित कृष्ण मेमोरियल हॉल के पास से अचानक गायब हो गया था. इसके बाद परिजनों ने सताश की काफी खोजबीन की. थक हार कर 8 मई 2008 को गांधी मैदान थाना में गुमशुदगी का मामला दर्ज कराया गया.

लंबे समय तक लापता सतीश चौधरी का जब कहीं पता नहीं चला तो घरवाले भी घर बैठ गए. गुमशुदगी की घटना के लगभग 4 वर्षों के बाद 2012 में सतीश के परिजनों को जान में जान तब आई जब उन्हें रेड क्रॉस सोसायटी के माध्यम से एक पत्र प्राप्त हुआ, जिसमें उन्हें सुचित किया गया था कि सतीश ढाका के लक्ष्मीपुर स्थित जेल में बंद है.

लाइव टीवी देखें-:

वहीं, सतीश की मां कला देवी ने बताया कि बेटे की खोज में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के जनता दरबार तक में गुहार लगाई. साथी ही गृह विभाग के प्रधान सचिव आमिर सुबहानी ने विदेश मंत्रालय को पत्र भी लिखा, लेकिन इसके बाद भी सरकारी स्तर पर सतीश को भारत लाने का किसी प्रकार का प्रयास नहीं हुआ. सतीश के भाई मुकेश चौधरी ने वर्षों तक विभिन्न कार्यालयों में भाई को वतन वापस लाने के लिए विनती करते रहे. मंगलवार को अचानक मुकेश के मोबाइल पर फोन आया कि 12 सितंबर को बांग्लादेश के जेल से सतीश को रिहा किया जा रहा है. इस खबर को सुनने के बाद लोगों में काफी खुशी है.

वहीं, सतीश के बेटे आशिक ने कहा कि बचपन में हमने अपने पिता को देखा था, अब उनका चेहरा भी ठीक से हमें याद नहीं है. जब वह आएंगे तो उनके साथ बाजार के साथ-साथ खेलने का भी काम करेंगे. वहीं, सतीश के मित्र संजय ने कहा कि सतीश पटना इलाज करने गया था और वहां से गायब हो गया. सतीश का भाई मुकेश पासपोर्ट बनवाकर कोलकाता के रास्ते ढाका स्थित लक्ष्मीपुर सेंट्रल जेल पहुंचा. वहां पहुंचने के बाद मुकेश को पता चला कि सतीश का सजा पूरी होने की वजह से उसे यहां से छोड़ दिया गया है.

बांग्लादेश के कई जिलों में उसने अपने भाई की खोजबीन की, लेकिन किसी प्रकार का पता नहीं चला. वह वहां से लौट आया. लेकिन जानकारी के अभाव में वह ढाका के एंबेसी में नहीं जा सका. वहीं, 10 सितंबर को बांग्लादेश स्थित भारतीय दूतावास से टेलीफोन आया कि 12 सितंबर को बांग्लादेश के जेल से छोड़ा जा रहा है. आप उन्हें आकर ले जाएं.