2019 का राजनीतिक समर अभी दूर है लेकिन उसकी कवायद अभी से शुरू हो चुकी है
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आशुतोष चन्द्रा, पटना: 2019 का राजनीतिक समर अभी दूर है लेकिन उसकी कवायद अभी से शुरू हो चुकी है. विपक्षी दल मोदी लहर से निपटने के लिए महागठबंधन को एक साकार रूप देने की कोशिशों में लगे हैं. लेकिन बिहार में सीटों के बंटवारे को लेकर महागठबंधन में टेंशन अभी से ही दिखने लगा है. जानकारी के मुताबिक हम सेक्युलर के राष्ट्रीय अध्यक्ष जीतन राम मांझी ने सही सीट शेयरिंग को लेकर महागठबंधन में कॉर्डिनेशन कमेटी बनाये जाने की मांग कर दी है. जीतन राम मांझी ने कहा है कि जबतक आपस में विचार-विमर्श नहीं हो जाता तब तक सीटों के मसले पर कुछ नहीं कहा जा सकता.
मांझी ने की महागठबंधन में कॉर्डिनेशन कमेटी बनाने की बात
मांझी ने कहा, "अगर कमेटी बन जाती है तो कमेटी के सदस्य ही मिल बैठकर ये तय कर लेंगे कि कौन सी पार्टी कहां से चुनाव लड़े तो बेहतर होगा. जीतने वाली सीट के आधार पर ही टिकट का बंटवारा होना चाहिए. एक-एक सीट का महत्व है. और इसके लिए वो खुद लालू प्रसाद से मिलकर बात भी करेंगे. मांझी ने कहा है कि मैं महागठबंधन के लोगों से अपील करूंगा कि हम की भावना छोड़ दें और महागठबंधन के हित में अगर कोई कुर्बानी भी देनी पड़े तो वो भी दी जाए."
आरजेडी ने घटक दलों को दी अलग सलाह
वहीं आरजेडी ने अपने घटक दलों को सीट की चिंता छोड़ सफलता की ओर अपना ध्यान लगाने की सलाह दे दी है. पार्टी के प्रवक्ता रामानुज प्रसाद ने कहा है कि महागठबंधन के घटक दल सीट के लिए नहीं बल्कि समाजवादी विचारधारा को मजबूत करने के लिए एकजुट हुए हैं. ऐसे में उन्हें सीट की चिंता छोड़ सफलता की चिंता करनी चाहिए.
कांग्रेस पिछली बार से ज्यादा सीटों पर लड़ना चाहती है चुनाव
दरअसल बीते कुछ दिनों से महागठबंधन में सीटों को लेकर चर्चा छिड़ी हुई है. महागठबंधन के घटक दल अपनी हैसियत के मुताबिक सीटों का आकलन करने में जुट गए हैं. 12 जुलाई को कांग्रेसी नेता अखिलेश सिंह ने भी ये घोषणा कर दी थी कि कांग्रेस सीटों के मामले में इस बार सरेंडर नहीं करेगी. कांग्रेस पिछली बार से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ेगी. अखिलेश सिंह ने ये बातें तब कहीं थीं जब पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव अशोक गहलोत बिहार दौरे पर आए थे और सदाकत आश्रम में उनका स्वागत समारोह था. अशोक गहलोत ने भी सार्वजनिक तौर पर ये स्वीकार किया था कि गठबंधन उनकी मजबूरी है. वो चाहते हैं कि पार्टी बिहार में अपने पैरों पर खड़ी हो. कांग्रेसी नेताओं के बयान के बाद महागठबंधन के घटक दलों के बीच सीटों को लेकर अफरातफरी मच गई है. यही वजह है कि जीतन राम जैसे पार्टी अध्यक्षों की चिंता सीट शेयरिंग के मसले पर बढ़ गई है.
इस वजह से हो रही है सीट शेयरिंग की चिंता
सीट शेयरिंग पर मांझी की चिंता स्वाभाविक है. क्योंकि महागठबंधन का आकार धीरे-धीरे बढ़ता जा रहा है. महागठबंधन में आरजेडी, कांग्रेस और एनसीपी पहले से हैं. इसके अलावा अब सीपीआई, माले और सीपीएम ने भी महागठबंधन के साथ मिलकर चुनाव लड़ने की इच्छा जता दी है. सीपीआई की बिहार यूनिट ने लोकसभा की 6 सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा भी कर दी है. इसी तरह माले और सीपीएम ने भी अपने अपने लिए चुनावी सीटों का आकलन कर रखा है. हालंकि दोनों दलों की ओर से इसकी घोषणा नहीं की गई है. पिछली बार 12 सीटों पर चुनाव लड़ने वाली कांग्रेस इस बार 15 से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ने का मन बना रही है. वहीं पिछली बार 27 सीटों पर चुनाव लड़ चुकी आरजेडी 25 से कम सीटों पर चुनाव लड़ने की स्थिति में नहीं है. 2014 में 1 सीट पर चुनाव लड़ी एनसीपी अब एक से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ने का मन बना रही है. हालांकि पार्टी ने अभी तक सीटों को लेकर अपना खुलासा नहीं किया है.
राजनीतिक विशेषज्ञों की मानें तो सीट शेयरिंग को लेकर आरजेडी का रुख सहयोगी दलों के लिए मुश्किलें खड़ा कर सकता है. ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि आखिर सीटों को लेकर हम और कांग्रेस के मनसूबे कितने पूरे हो पाएंगे.