स्तनपान जागरुक्ता कार्यक्रम में बोली श्रेयषी सिंह, 'स्तनपान से होगा सुपोषित राष्ट्र का निर्माण'
Advertisement

स्तनपान जागरुक्ता कार्यक्रम में बोली श्रेयषी सिंह, 'स्तनपान से होगा सुपोषित राष्ट्र का निर्माण'

विश्व स्तनपान सप्ताह का थीम सशक्त अभिभावक सुगम स्तनपान आज एवं बेहतर कल के लिए है. स्तनपान करने वाले बच्चों का आई क्यू ज्यादा बेहतर होता है और उसके दिमाग का विकास अच्छा होता है. 

शूटर श्रेयसी सिंह स्तनपान जागरुक्ता कार्यक्रम में शामिल हुई.

पटनाः स्तनपान हर बच्चे का नैसर्गिक अधिकार है. स्तनपान केवल एक बच्चे या बच्ची को ही सुपोषित नहीं करेंगा बल्कि ये सुपोषित बिहार और सुपोषित राष्ट्र का निर्माण करेगा. स्तनपान के लिए एक सकारात्मक माहौल बनाने में पिता और परिवार के अन्य सदस्यों की भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है. यह बातें पोषण अभियान बिहार की सद्भावना दूत अर्जुन पुरस्कार से सम्मनित राष्ट्रीय शूटर श्रेयषी सिंह ने शुक्रवार को विश्व स्तनपान सप्ताह के अवसर पर समेकित बाल विकास सेवा निदेशालय, समाज कल्याण विभाग, बिहार के द्वारा यूनीसेफ के तकनीकी सहयोग से पटना के होटल मौर्या में आयोजित एक दिवसीय राज स्तरीय कार्यशाला के दौरान व्यक्त किये.

इस कार्यक्रम का उद्देश्य स्तनपान के महत्व के बारे में लोगों को जागरूक करने के साथ ही स्तनपान के लिए अनुकूल वातावरण भी बनाना है. श्रेयषी ने सभी प्रतिभागियों से आग्रह किया कि हम सब अपने-अपने माध्यम से स्तनपान के महत्व को जन-जन तक पहुचाएं.

बिहार महिला आयोग की अध्यक्ष दिलमणि मिश्रा ने कहा कि पहले माताएं स्तनपान ज्यादा करवाती थी बीच में इसमें कमी आ गई थी. अब फिर से लोगों में जागरूकता लाने की जरुरत है. बच्चों के पोषण पर ध्यान देना हमारी पहली प्राथमिकता होनी चाहिए. हमें इस प्रकार के जागरूकता वाले कार्यक्रम को खास तौर पर ग्रामीण इलाकों में करने की जरुरत है.

यूनीसेफ की पोषण पदाधिकारी, डॉ शिवानी डार ने कहा कि इस वर्ष के विश्व स्तनपान सप्ताह का थीम सशक्त अभिभावक सुगम स्तनपान आज एवं बेहतर कल के लिए है. स्तनपान करने वाले बच्चों का आई क्यू ज्यादा बेहतर होता है और उसके दिमाग का विकास अच्छा होता है. अगर हम एक माँ पर स्तनपान करवाने के लिए 1 डॉलर का निवेश करते है तो हमारी अर्थव्यवस्था में 35 डॉलर का रिटर्न मिलता है.

पीएमसीएच के शिशु रोग विभागाध्यक्ष डॉ ए के जायसवाल ने कहा कि स्तनपान से जुड़े हुए मिथकों के बारे में बताया काम करने वाली माताएं अगर चाहते तो अपने मिल्क को निकल कर भी रख सकती हैं. माँ के निकले गए दूध को सामान्य तापमान पर 8 घंटे और फ्रीज में रख कर 24 घंटे तक पिला सकते हैं.

अलाइव एंड थ्राइव की अनुपम श्रीवास्तव ने कहा कि उचित स्तनपान नहीं कराने के प्रभावों पर किये गए नए अध्ययन बताते हैं की भारत में सही स्तनपान के माध्यम से करीब 100,000 असमय होने वाली बच्चों की मौतों को (मुख्यतः निमोनिया और डायरिया के कारण) रोका जा सकता है. इसके साथ ही 34.7 मिलियन डायरिया के मामले, 2.4 मिलियन निमोनिया और 40,382 मोटापे के मामलों को कम किया जा सकता है. वही लगभग 97 हज़ार माताओं की मृत्यु गर्भाशय के कैंसर और टाइप टू डायबितीज से होती है जिसे स्तनपान के माध्यम से रोका जा सकता है.