लंगर चलाने में सहयोग करने वाले जतिन ने सेवा की शुरुआत छात्र के रुप में की थी. अपनी पॉकेट मनी का एक हिस्सा लंगर में देते थे.
Trending Photos
पटना : आज के दौर में बिना स्वार्थ कोई किसी को पानी तक नहीं पूछता, लेकिन पटना के कुछ सिख युवा इस मिथक को तोड़ने की कोशिश में लगे हुए हैं. सिख युवाओं की एक टोली हर दिन पीएमसीएच में गरीब मरीजों को सुबह का ब्रेकफास्ट मुफ्त कराती है. सबसे खास बात यह है कि इन युवाओं में कुछ बिजनेसमैन हैं, तो कुछ छात्र. अपनी पॉकेट मनी से अनोखा लंगर चला रहे हैं.
बिहार के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल पीएमसीएच में सुबह आठ बजे की तस्वीर कुछ अलग ही रहती है. पीएमसीएच के हथुआ वार्ड के पास मरीजों के परिजनों की लंबी कतार आपको देखने को मिल जाएगी. ठीक आठ बजे हथुआ वार्ड के पास एक वैन आकर रुकती है. जिसमें से कुछ सिख युवा उतरते हैं और लंगर की तैयारी में जुट जाते हैं. ये पटना के पीएमसीएच में लगने वाला अनोखा लंगर है. सिख युवाओं की एक टोली हर दिन यहां चाय और बिस्कुट का लंगर लगाती है.
गरीब मरीजों के बीच युवाओं की यह टोली हर दिन 20 लीटर चाय और दो हजार रुपये के बिस्कुट मुफ्त में बांटती है. इन युवाओं को सपोर्ट करने के लिए अब बुजुर्ग और महिलाएं भी साथ आने लगी हैं. इन युवाओं में ज्यादातर बिजनेसमैन हैं. छोटे-मोटे व्यवसाय करने वाले युवा अपनी आमदनी में से कुछ हिस्सा निकाल कर लंगर में सहयोग करते हैं. जो छात्र हैं वे अपनी पॉकेट मनी का कुछ हिस्सा लंगर में लगाते हैं.
लंगर चलाने में सहयोग करने वाले जतिन ने सेवा की शुरुआत छात्र के रुप में की थी. अपनी पॉकेट मनी का एक हिस्सा लंगर में देते थे. आज छोटे बिजनेस से जुड़ने के बाद भी अपनी आमदनी का एक हिस्सा लंगर की सेवा में देते हैं. इसी तरह सुरजीत सिंह भी लंगर परंपरा को लंबे समय से निभाते आ रहे हैं.
पीएमसीएच में लगने वाले युवाओं के इस लंगर का असर ऐसा है कि अब गैर सिख युवा भी इस सेवा से जुड़ रहे हैं. पटना के कौशिक कुमार सिख नहीं हैं इसके बावजूद लंगर सेवा में अपना समय देने जरुर चले आते हैं. कौशिक इसे मानवता की सेवा बताते हैं. युवाओं के बीच लंगर सेवा का प्रचलन यूं ही नहीं परवान चढा. इन सबके पीछे पटना के गुरमीत सिंह ने प्रेरणाश्रोत का काम किया है. गुरमीत सिंह पिछले 12 वर्षों से पीएमसीएच में लावारिस मरीजों की सेवा करते आ रहे हैं. गुरमीत सिंह कहते हैं कि युवा देश के भविष्य हैं और जब इस तरह की सेवा में आगे आते हैं तो देखकर खुशी होती है.
लंगर में शामिल होने वाला कोई भी शख्स निराश होकर नहीं जाता है. यहां तक कि लंगर में शामिल होनेवाले जानवरों को भी लंगर सेवा का लाभ मिलता है. पीएमसीएच में मरीज का इलाज करा रहे जहानाबाद के शिववचन दास कहते हैं कि यह अद्भुत सेवा है. एक मरीज और उसके परिजनों को सुबह के चाय नास्ते में कम से कम 20 रुपये खर्च हो जाते हैं, लेकिन मुफ्त लंगर सेवा गरीब मरीजों के लिए किसी वरदान से कम नहीं.
सिख युवाओं ने आगे की भी प्लान कर रखी है. जब इनका संगठन बडा हो जाएगा तो ये खाने का भी लंगर चलाएंगे. क्योंकि बड़े लंगर के लिए बड़ी पूंजी की जरुरत होती है और इसके लिए अभी वक्त लगेगा.