काम की रफ्तार कर रही है बयां, पटना को अभी स्मार्ट सिटी बनने में लगेंगे 10-15 साल!
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काम की रफ्तार कर रही है बयां, पटना को अभी स्मार्ट सिटी बनने में लगेंगे 10-15 साल!

राजधानी पटना का स्मार्ट सिटी के तौर पर चयन साल 2017 में हुई और पटना स्मार्ट सिटी लिमिटेड की स्थापना 9 नवबंर 2017 को हुई. जिसके बाद दस बड़ी परियोजनाओं का टेंडर हुआ.

पटना स्मार्ट सीटी प्रोजेक्ट के कामों की रफ्तार धीमी है.
पटना स्मार्ट सीटी प्रोजेक्ट के कामों की रफ्तार धीमी है.

पटनाः बिहार के सबसे बड़े शहर पटना की सूरत बदलने की तैयारी हो रही है. पटना स्मार्ट सिटी लिमिटेड के तहत कई योजनाओं पर काम हो रहा है, लेकिन कई योजनाओं की रफ्तार काफी धीमी है. कुछ ऐसी योजनाएं हैं जिसका उद्घाटन भी अगले एक दो महीने में हो जाना है. लेकिन जिस कछुए की रफ्तार से काम चल रहा है उससे तो यही लगता है कि पटना को स्मार्ट सिटी बनने में काफी दिनों का इंतजार करना पड़ेगा.

राजधानी पटना में सड़क जाम, गाड़ियों की लंबी कतार, हर तरफ कचरों का अंबार अब यह पहचान बन रही है. हालांकि, पटना की गलियां हो या सड़क वो पहले से काफी साफ हैं और घर से कचरा उठाया जा रहा है. लेकिन पटना का चयन स्मार्ट सिटी के लिए हुआ है तो तय किया गया कि ऐसी परियोजनाओं को जमीन पर उतारा जाए जिससे राजधानी की सूरत बदले और ये रहने के लिहाज से अच्छे शहरों की गिनती में आए.

अभी पटना में 10 परियोजनाओं पर 1017 करोड़ रूपए का काम हो रहा है. लेकिन कुछ ऐसी परियोजनाएं हैं जिसकी रफ्तार काफी धीमी है.लोगों को लगता है कि पटना को स्मार्ट सिटी बनने में एक या दो साल नहीं बल्कि दस से पंद्रह साल लग जाएंगे. दरअसल, राजधानी पटना का स्मार्ट सिटी के तौर पर चयन साल 2017 में हुई और पटना स्मार्ट सिटी लिमिटेड की स्थापना 9 नवबंर 2017 को हुई. जिसके बाद दस बड़ी परियोजनाओं का टेंडर हुआ और काम भी शुरू हुआ. 

अगस्त-सितंबर और नवंबर तक कुछ योजनाओं को पूरा हो जाना था. पटना में गंगा रिवर फ्रंट के किनारे एक करोड़ से ज्यादा के प्रोजेक्ट डच कैफे की रफ्तार काफी धीमी है और इसे देखकर ऐसा नहीं लगता है इसका उद्घाटन 15 अगस्त तक हो पाएगा. इसी तरह गांधी मैदान में 6 करोड़ 98 लाख की लागत से मेगा साइज की स्क्रीन लगनी थी. अगले महीने इसे पूरा करने का लक्ष्य है लेकिन मेगा साइज स्क्रीन परियोजना की रफ्तार काफी धीमी है.

इसी तरह पटना में जनसेवा केन्द्र बनाया जा रहा है. पटना स्मार्ट सिटी लिमिटेड के प्रबंधक निदेशक अनुपम सुमन ने वादा किया था 15 अगस्त तक कुछ जनसेवा केन्द्रों का उद्घाटन कर दिया जाएगा लेकिन जनसेवा केन्द्र को लेकर काम की रफ्तार भी धीमी है. गांधी मैदान परिसर की चारों तरफ की निजी और सरकारी व्यवसायिक इमारतों को एक थीम पर एलइडी लाइट से रौशन किया जाना था. 22 करोड़ से ज्यादा रूपए खर्च होना है. इसका उद्घाटन भी 15 अगस्त तक होना था लेकिन इस पर कोई काम नहीं हो सका है.

वहीं, अशोक राजपथ से गंगा घाटों से जुड़ने वाली सड़कों का काम पटना स्मार्ट सिटी के तहत होना था. छठ से पहले इसको बनाना था लेकिन फिलहाल इसकी भी रफ्तार धीमी है. पटना स्मार्ट सिटी के तहत ही इंटीग्रेटेड कंट्रोल कंमाड योजना के तहत शहर में साढ़े तीन हजार से ज्यादा एलइडी लाइट्स लगाई जानी है लेकिन सीसीटीवी लगाए जाएंगे इसका जवाब भी पटना स्मार्ट सिटी के पास नहीं है. इसमें कोई शक नहीं कि पटना पहले की अपेक्षा सुंदर हुए हैं. जगह जगह डस्टबिन लगाए गए हैं. कई योजनाओं पर काम चल रहा है लेकिन अगर इन योजनाओं पर तेजी से काम होगा तो इसके फायदे पटना के लोगों को होंगे. अगर समय से इन योजनाओं को पूरा कर लिया गया तो पटना की पहचान भी बदलेगी और बिहार के लोग भी फक्र महसूस करेंगे.

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