विकास के इस दौर में जब सड़क का जाल बिछाया जा रहा है, बड़े बड़े पुल पुलिया का निर्माण व्यापक पैमाने पर हो रहा है. ऐसे समय में सुपौल जिले के छातापुर प्रखंड का रामपुर और झखाड़गढ़ पंचायत आज भी विकास से कोसों दूर है. आजादी के 77 साल बाद भी छातापुर प्रखंड के रामपुर और झखाड़गढ़ के समीप सुरसर नदी पर पुल नहीं बन पाया है. जिससे गांव वाले अब भारी आक्रोश में है.
इसको लेकर VIP के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष संजीव मिश्रा ने सरकार पर जमकर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि सरकार की तरफ से जानबूझकर कर इस इलाके को उपेक्षित किया जा रहा है.
दरअसल, रामपुर और झखाड़गढ़ पंचायत से होकर गुजरने वाली सुरसर नदी पर झखाड़गढ़ स्थित शिवनी घाट के समीप पुल नहीं होने से लोगों को भारी कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है. नदी के उस पार चूंकि लोगों की खेतीबारी से लेकर शिक्षा चिकित्सा समेत अन्य सुविधाएं रहने के कारण लोगों को हर दिन नदी पार करना जरूरी हो जाता है.
बताया जा रहा है कि ग्रामीण हर वर्ष नदी पार करने के लिए बांस के चचरी का पुल डालते है. चचरी पुल के सहारे आवागमन करने को विवश है. आसपास के ग्रामीण जनसहयोग से पिछले कई सालों से नदी पर बांस का चचरी पुल बनाकर जान जोखिम में डालकर नदी पार करते हैं.
स्थिति तब भयावह हो जाती है जब बारिश के दिनों में सुरसर नदी उफान पर रहती है. बताया जा रहा है कि अब तक कई दुर्घटनाएं घट चुकी है और कई लोगों की नदी में डूबने से मौत भी हो चुकी है.
ग्रामीणों ने बताया कि रामपुर, झखाड़गढ़, मोहनपुर, कटहरा,सोहटा, माधोपुर आदि पंचायतों के लोगों का इस चचरी के सहारे व्यापक पैमाने पर आवागमन होता है. बताया गया कि करीब 20 हजार की आबादी इससे प्रभावित हो रही है. हर दिन सैकड़ों लोग चचरी के सहारे नदी पार करते हैं. इसके बावजूद लोगों की समस्या के समाधान के लिए जनप्रतिनिधि या संबंधित विभाग इस दिशा में पहल नहीं कर रही है.
लोगों की माने तो जब कोई बीमार पड़ जाता है तो बीमार मरीज को चचरी पुल के सहारे ले जाने में भारी कठिनाई होती है. यहां तक कि स्कूली बच्चों को भी चचरी पुल के सहारे ही प्रत्येक दिन स्कुल आना-जाना पड़ता है.
अभिभावकों ने बताया कि बच्चों को नदी के उसपार स्कूल भी भेजने में हमेशा भय बना रहता है. नदी के कारण यहां के लोगों को प्रखंड मुख्यालय जाने में भी काफी दूरी तय करनी पड़ती है.
हालांकि, छातापुर प्रखंड मुख्यालय जाने के लिए दूसरे रास्ते भी हैं, जिस रास्ते से 5 किमी के बदले 15 किलोमीटर की दुरी तय करनी पड़ती है. लोगों ने कहा कि पुल को लेकर काफी प्रयास किया गया, लेकिन विधायक-सांसद के आश्वासन के बाद भी पुल नहीं बन सका, जिससे गांव वाले आक्रोश में है.
रिपोर्ट: सुभाष चंद्रा
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