'शैक्षणिक पदों की नियुक्ति पर रोक' वाले सुप्रीम कोर्ट का फैसला स्वागत योग्य- सुशील मोदी
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'शैक्षणिक पदों की नियुक्ति पर रोक' वाले सुप्रीम कोर्ट का फैसला स्वागत योग्य- सुशील मोदी

बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है जो शैक्षणिक पदों की नियुक्ति पर रोक के लिए दी गई. 

सुशील मोदी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया. (फाइल फोटो0

पटनाः बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है जो शैक्षणिक पदों की नियुक्ति पर रोक के लिए दी गई. उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय के बजाय विभाग को इकाई मानकर शैक्षिक पदों पर नियुक्ति करने के इलाहाबाद हाईकोर्ट के निर्णय से बड़ी संख्या में एससी/एसटी और ओबीसी के लोग आरक्षण के लाभ से वंचित हो रहे थे. 

इस फैसले को चुनौती देने के बाद सुप्रीम कोर्ट का निर्णय आने तक नियुक्ति पर रोक लगाने का भारत सरकार का कदम स्वागतयोग्य है. उन्होंने कहा कि इस रोक से बिहार प्रभावित नहीं हो रहा है, क्योंकि यहां बीपीएससी द्वारा व्याख्याताओं की नियुक्ति पहले से ही विभाग की जगह विश्वविद्यालयों को इकाई मान कर की जा रही है. भारत सरकार के इस निर्णय से बिहार के हजारों छात्रों को अब लाभ मिलेगा जो केन्द्रीय यूनिवर्सिटी व दूसरे राज्यों में शैक्षिक पदों पर नियुक्ति के लिए आवेदन करेंगे. 

मोदी ने कहा कि विभाग को नियुक्ति इकाई मानने से एससी/एसटी और ओबीसी के लोग बड़ी संख्या में आरक्षण के आधार पर नियुक्ति के लाभ से वंचित हो जायेंगे जबकि भाजपा का मत है कि किसी भी कीमत पर एससी/एसटी और ओबीसी को शैक्षणिक पदों की बहाली में 50 प्रतिशत आरक्षण का लाभ मिलना चाहिए. 

गौरतलब है कि अप्रैल 2017 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने विश्वविद्यालयों में शिक्षकों की नियुक्ति के लिए पूरे विश्वविद्यालय की रिक्तियों की जगह विभाग को इकाई मानकर बहाली का आदेश दिया. कोर्ट के इस फैसले से बड़ी संख्या में एससी/एसटी और ओबीसी के लोग नियुक्ति से वंचित हो रहे थे. 

भारत सरकार ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के उक्त फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दिया है तथा केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावेदकर ने केन्द्रीय विश्वविद्यालयों व यूजीसी से अनुदान प्राप्त महाविद्यालयों में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने तक नियुक्तियों पर रोक लगाने का सराहनीय निर्णय लिया है.