उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि इस साल बच्चों के लिए 20,889 करोड़ खर्च का प्रावधान है. 2013-14 से 2017-18 के दौरान बजट में बच्चों के लिए 80,872 करोड़ का प्रावधान किया गया था जिनमें से 67,101 करोड़ खर्च हुआ. बच्चों के बजट में प्रतिवर्ष 18.1 तथा खर्चों में 26 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.
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पटना: गुरूवार को पटना के पुराना सचिवालय स्थित सभाकक्ष में चाइल्ड बजट को लेकर एक बैठक का आयोजन किया गया, उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी की अध्यक्षता में बैठक का आयोजन किया गया.
बच्चों के बजट निर्माण के लिए ‘मानक कार्यसंचालन प्रक्रिया दस्तावेज’ जारी करते हुए उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि इस साल बच्चों के लिए 20,889 करोड़ खर्च का प्रावधान है. 2013-14 से 2017-18 के दौरान बजट में बच्चों के लिए 80,872 करोड़ का प्रावधान किया गया था जिनमें से 67,101 करोड़ खर्च हुआ. बच्चों के बजट में प्रतिवर्ष 18.1 तथा खर्चों में 26 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.
उन्होंने कहा कि केरल, असम के साथ बिहार देश का तीसरा राज्य है जो मूल बजट के अंग के तौर पर 8 विभागों के जरिए बच्चों के कल्याण व विकास पर खर्च के लिए बजट बनाता है. आने वाले दिनों में 8 और विभाग इसमें शामिल होंगे.
सुशील कुमार मोदी ने कहा कि एनडीए सरकार के प्रयास से 2005-06 में बाल मृत्यु दर 65 थी जो अब घट कर अखिल भारतीय औसत के समतुल्य 35 और बच्चों का टीकाकरण 32.8 से बढ़ कर 84 प्रतिशत हो गयी है. साथ ही टीकाकरण का शत-प्रतिशत लक्ष्य हासिल करने का प्रयास किया जा रहा है.
बिहार में 2011 की जनगणना के अनुसार 0-18 वर्ष की आयु की आबादी 4.98 करोड़ जिनमें लड़कों की 2.62 करोड़ व लड़कियों की संख्या 2.35 करोड़ हैं. यह कुल आबादी का 48 प्रतिशत हैं और ऐसे में चाइल्ड बजट की अहमियत समझी जा सकती है
इस मौके पर वित्त विभाग के प्रधान सचिव एस सिद्धार्थ,स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव संजय कुमार,आद्री के निदेशक पी पी घोष व यूनीसेफ प्रमुख असदुर रहमान के अलावा कई विभागों के आलाधिकारी उपस्थित हुए और चाइल्ड बजट को बेहतर बनाने के लिए विचार विमर्श किया गया.