किशनगंज के इस स्कूल में चलती है रसोइए की दादागिरी, टीचर भी परेशान
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किशनगंज के इस स्कूल में चलती है रसोइए की दादागिरी, टीचर भी परेशान

किशनगंज जिला के अमलझाड़ी गांव स्थित उत्क्रमित मध्य विद्यालय में कुल 305 छात्र-छात्राएं पढ़ते हैं. 

किशनगंज के इस स्कूल में चलती है रसोइए की दादागिरी.

किशनगंज : बिहार के किशनगंज के एक सरकारी स्कूल में मिड-डे मील का खाना बनाने वाली एक रसोइया की दादागिरी चलती है. रसोइया की दादागिरी से स्कूल की सभी महिला शिक्षक दहशत में हैं. रसोइया के द्वारा उन्हें परेशान किया जाता है. इतना ही नही दबंग रसोइया उसे जान से मारने तक की धमकी देती है. आखिर किसके इशारे पर चलता है रसोइया का स्कूल में राज?

किशनगंज जिला के अमलझाड़ी गांव स्थित उत्क्रमित मध्य विद्यालय में कुल 305 छात्र-छात्राएं पढ़ते हैं. बच्चों को गुणवत्ता शिक्षा देने के उद्देश्य से तीन शिक्षक और पांच महिला शिक्षक को शिक्षा विभाग द्वारा तैनात किया गया है. 

इस स्कूल में दो रसोइया भी है. यहां रसोइया मुरकुन निशा की दादागिरी चलती है. रसोइया की दादागिरी से स्कूल की सभी शिक्षिका दहशत में हैं. स्कूल में नए सत्र की शुरुआत के चार महीने बीत गए, लेकिन अभी तक बच्चों को किताब नसीब नहीं हुआ है. अनियमितता इतनी है कि स्कूल में बच्चों और शिक्षिकाओं को चापाकल के समक्ष नाले का जमा गंदा पानी के बीच दूषित पानी पीना पड़ता है.

शौचालय की बात करें तो स्वच्छ भारत अभियान की पोल खुल रही है. इस स्कूल में शौचालय में गंदगी फैली है. छात्रों और शिक्षिकाओं को परेशानी हो रही है. स्कूल के प्रधान शिक्षक के इशारे पर स्कूल परिसर में रसोइया दहशत फैलाकर रखी है. प्रधान शिक्षक के खिलाफ आवाज उठाने वाले शिक्षक और शिक्षिकाओं को रसोइया के द्वारा प्रताड़ित किया जाता है. पिटाई और जान से मारने तक की धमकी दी जाती है. रसोइया से पूछने पर उन्होंने बताया कि प्रधान शिक्षक की अनुपस्थिति में मुझे ही स्कूल का प्रभार दिया जाता है, तो दादागिरी कैसे नहीं चले. प्रधान शिक्षक रसोइया को प्रभार देने की बात से इंकार कर रहे हैं.

वहीं, मामले को लेकर शिक्षा विभाग के जिला कार्यक्रम पदाधिकारी से संपर्क किया गया तो उन्होंने भी माना कि सरकारी स्कुलों में कमियां हैं, जिसे जल्द दूर किया जाएगा. रसोइया की दादागिरी के सवाल पर उन्होंने जांच की बात कही.

भले ही राज्य सरकार, सरकारी स्कूलों के बच्चों को गुणवत्ता शिक्षा देकर उसके सुनहरा भविष्य की कल्पना कर रही हो लेकिन धरातल पर कुछ और ही चल रहा है. यह हाल सिर्फ एक स्कूल का नहीं है, बल्कि जिले के कई अन्य स्कूलों का भी है. बच्चों को शिक्षा तो दूर की बात, यहां स्कूल के शिक्षक और शिक्षिका ही दहशत में हैं.