बिहार में बाढ़ को लेकर तेजस्वी की साइलेंट राजनीति, RJD कार्यकर्ताओं से कहा 'मदद करें'
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बिहार में बाढ़ को लेकर तेजस्वी की साइलेंट राजनीति, RJD कार्यकर्ताओं से कहा 'मदद करें'

चमकी बुखार से काफी संख्या में बच्चों की मौत पर तेजस्वी यादव साइलेंट थे. वहीं, सक्रिय राजनीति में वापसी के बाद ही साइलेंट ही दिख रहे हैं. लेकिन वह साइलेंट मोड में सरकार पर निशाना साधने से भी नहीं बच रहे हैं.

तेजस्वी यादव ने बाढ़ को लेकर नीतीश कुमार पर निशाना साधा है.

नई दिल्लीः बिहार में हर साल की तरह इस साल भी बाढ़ तबाही बन कर आई है. वर्षों से नेपाल से सटे बिहार के जिलों में बाढ़ तबाही मचा रही है. बाढ़ की तबाही के बाद हर साल इस पर काम करने की बात होती है लेकिन अगले साल फिर से उसी मंजर को झेलना पड़ता है. वहीं, बाढ़ बिहार की राजनीति में अहम मुद्दा बनता है, हालांकि मुद्दे पर सरकार और विपक्ष कितनी सजग होती है. वह बाढ़ आने के बाद पता चलता है.

बिहार में बाढ़ आने के साथ ही राजनीति में भी इसकी लहर उठने लगी है. जहां एक ओर बाढ़ का संकट शुरू होते ही सरकार के बंदोवस्त नासाज दिख रहे हैं. वहीं, विपक्ष के पास आने वाले चुनाव को लेकर सरकार को घेरने का अच्छा मौका है. हालांकि, विपक्ष इन दिनों काफी साइलेंट जैसी दिख रही है. वहीं, विपक्ष नेता तेजस्वी यादव भी साइलेंट राजनीति कर रहे हैं.

बिहार में करीब 2 माह से काफी उथल पुथल हो रहा है. चमकी बुखार, सूखा और अब बाढ़, इस तरह के हालातों में विपक्ष काफी साइलेंट दिख रहा है. चमकी बुखार से काफी संख्या में बच्चों की मौत पर तेजस्वी यादव साइलेंट थे. वहीं, सक्रिय राजनीति में वापसी के बाद ही साइलेंट ही दिख रहे हैं. महत्वपूर्ण मुद्दों और आयोजनों में उनकी भागीदारी नहीं देखने को मिल रही है. लेकिन वह साइलेंट मोड में सरकार पर निशाना साधने से भी नहीं बच रहे हैं.

बिहार में प्राकृतिक प्रभाव को लेकर नीतीश कुमार ने जलवायु परिवर्तन को लेकर सर्वदलीय बैठक बुलाई थी लेकिन उसमें तेजस्वी यादव शामिल नहीं हुए. वहीं, तेजस्वी यादव ने ट्वीट के जरिए सरकार पर व्यवस्थाओं और बाढ़ को लेकर कड़ा निशाना साधा है.

उन्होंने ट्वीट पर लिखा कि, 'बिहार के 15 जिले बाढ़ की चपेट में हैं. उत्तर बिहार की नदियाँ खतरे के निशान के ऊपर बह रही हैं. जान, माल, फसल, मवेशी का लगातार नुकसान हो रहा है. पर आत्ममुग्ध सरकार व बेपरवाह प्रशासन मदमस्त है. आम जनजीवन अस्त-व्यस्त होने की इन्हें क्यों चिंता होगी? आख़िर दोष प्रकृति को जो देना है.'

इसके बाद उन्होंने एक और ट्वीट किया, जिसमें लिखा 'बाढ़ की विभीषिका से निपटने के सरकारी दावों की कलई पहले हफ्ते ही खुल गई. दावे अपनी जगह है और "सुशासन" के दीमकों की कमाई अपनी जगह, हर वर्ष बाढ़ राहत व बचाव, तटबंध निर्माण, पुनर्वास के नाम पर अरबों के घालमेल व बंदरबांट "सुशासन" की पहचान जो है.'

वहीं अपने पार्टी कार्यकर्ताओं से अपील करते हुए उन्हें ट्वीट किया. 'राजद कार्यकर्ताओं से आग्रह है कि अपने-अपने जिले में बाढ़ प्रभावित लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुँचाने में यथासंभव मदद करें. प्रशासन से संपर्क स्थापित कर समस्याओं का निराकरण एवं उचित सुविधा मुहैया कराने में सहयोग करें.'

बहरहाल, बाढ़ को लेकर बिहार बदहाल है वहीं, प्रशासन की ओर से समुचित व्यवस्था नहीं देने से परेशानियां काफी बढ़ गई है. ऐसे में सरकार भी किड़किड़ी हो रही है. सरकार ने जो भी दावे किए थे वह सारे इस साल बाढ़ के शुरुआत में ही फेल नजर आ रहे हैं. चुनाव नजदीक है और इस तरह की व्यवस्थाओं से लोगों में नाराजगी बढ़ रही है.