मोहन भागवत के इस बयान के बाद बिहार में भी राजनीति तेज हो गई है. तेजस्वी यादव ने ट्वीट कर मोहन भागवत के बयान पर पलटवार किया है.
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पटना: संघ प्रमुख मोहन भागवत द्वारा आरक्षण व्यवस्था पर दिए गए बयान के बाद अब बिहार में भी राजनीतिक बयानबाजी का दौर भी जारी है. आपको बता दें कि मोहन भागवत ने कहा है कि जो आरक्षण के पक्ष में हैं और जो इसके खिलाफ हैं, उन लोगों के बीच इस पर सद्भावपूर्ण माहौल में बातचीत होनी चाहिए.
मोहन भागवत के इस बयान के बाद बिहार में भी राजनीति तेज हो गई है. तेजस्वी यादव ने ट्वीट कर कहा है कि मोहन भागवत जी के बयान के बाद आपको यह साफ होना चाहिए कि क्यों हम आपको 'संविधान बचाओ' और 'बेरोज़गारी हटाओ,आरक्षण बढ़ाओ' के नारों के साथ आगाह कर रहे थे. 'सौहार्दपूर्ण माहौल' की नौटंकी में ये आपका आरक्षण छीन लेने की योजना में काफी आगे बढ़ चुके है. जागो,जगाओ और अधिकार बचाने की मशाल जलाओ .
मोहन भागवत जी के बयान के बाद आपको यह साफ होना चाहिए कि क्यों हम आपको “संविधान बचाओ” और “बेरोज़गारी हटाओ,आरक्षण बढ़ाओ” के नारों के साथ आगाह कर रहे थे।'सौहार्दपूर्ण माहौल' की नौटंकी में ये आपका आरक्षण छीन लेने की योजना में काफी आगे बढ़ चुके है।जागो,जगाओ और अधिकार बचाने की मशाल जलाओ
— Tejashwi Yadav (@yadavtejashwi) August 20, 2019
साथ ही एक और ट्वीट में तेजस्वी यादव ने कहा है कि आरक्षण को लेकर आरएसएस/बीजेपी की मंशा ठीक नहीं है. बहस इस बात पर करिए कि इतने वर्षों बाद भी केंद्रीय नौकरियों में आरक्षित वर्गों के 80% पद ख़ाली क्यों है? उनका प्रतिनिधित्व सांकेतिक भी नहीं है. केंद्र में एक भी सचिव ओबीसी/ईबीसी क्यों नहीं है? कोई कुलपति एससी/एसटी/ओबीसी क्यों नहीं है? करिए बहस?
आरक्षण को लेकर RSS/BJP की मंशा ठीक नहीं है। बहस इस बात पर करिए कि इतने वर्षों बाद भी केंद्रीय नौकरियों में आरक्षित वर्गों के 80% पद ख़ाली क्यों है? उनका प्रतिनिधित्व सांकेतिक भी नहीं है। केंद्र में एक भी सचिव OBC/EBC क्यों नहीं है? कोई कुलपति SC/ST/OBC क्यों नहीं है? करिए बहस??
— Tejashwi Yadav (@yadavtejashwi) August 20, 2019
मोहन भागवत के आरक्षण को लेकर बयान पर बिहार ही नहीं पूरे देश में राजनीति शुरू हो गई है. कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने इस पर पलटवार करते हुए थे कि प्रियंका ने अपने ट्वीट में लिखा, 'तो आरआरएस ने घोषणा कर दी है कि समाज में सभी मुद्दों का समाधान सौहार्दपूर्ण संवाद के माध्यम से होना चाहिए?' मुझे लगता है कि या तो मोदी जी और उनकी सरकार आरएसएस के विचारों का सम्मान नहीं करते या फिर या फिर यह नहीं मानते हैं कि जम्मू-कश्मीर में कोई मुद्दा है.'