बिहार: CM पद के उम्मीदवार को लेकर बढ़ रहा महागठबंधन में तनाव, तेजस्वी के नाम पर सवाल
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बिहार: CM पद के उम्मीदवार को लेकर बढ़ रहा महागठबंधन में तनाव, तेजस्वी के नाम पर सवाल

आरजेडी अध्यक्ष जगतानंद सिंह के बयान के बाद विवाद और गहराता जा रहा है. जगतानंद सिंह ने कहा था कि जो कांग्रेसी बीजेपी का सपोर्ट करते हैं वहीं तेजस्वी का नेतृत्व नहीं स्वीकार कर रहे.

 

तेजस्वी यादव के नाम पर कांग्रेस और आरजेडी के बीच तनाव बढता ही जा रहा है.(फाइल फोटो)

पटना: तेजस्वी यादव को सीएम पद का उम्मीदवार मान लेने को लेकर कांग्रेस और आरजेडी के बीच तनाव बढता ही जा रहा है. आरजेडी अध्यक्ष जगतानंद सिंह के बयान के बाद विवाद और गहराता जा रहा है. जगतानंद सिंह ने कहा था कि जो कांग्रेसी बीजेपी का सपोर्ट करते हैं वहीं तेजस्वी का नेतृत्व नहीं स्वीकार कर रहे.

आरजेडी अध्यक्ष के बयान के बाद कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष समीर सिंह और सीनियर लीडर निखिल कुमार ने 2020 चुनाव को लेकर कांग्रेस का अभी किसी भी दल के साथ गठबंधन होने की बात से ही साफ इन्कार कर दिया है. कांग्रेसी नेताओं की माने तो चुनाव के वक्त पार्टी फैसला करेगी कि आखिर गठबंधन का स्वरुप कैसा होगा.

बिहार में सीएम पद के उम्मीदवार को लेकर महागठबंधन में तनाव बढता ही जा रहा है. मांझी के साथ कांग्रेस ने भी तेजस्वी को सीएम पद का उम्मीदवार मानने को इन्कार कर दिया है. लेकिन बिहार कांग्रेस में चल रही बगावती विचारधारा आरजेडी को रास नहीं आ रही. पार्टी के अध्यक्ष जगतानंद सिंह को कांग्रेसी नेताओं से ऐसी उम्मीद नहीं थी. जगतानंद सिंह ने साफ कह दिया है कि जो भी कांग्रेसी तेजस्वी या आरजेडी का नेतृत्व मानने से इन्कार कर रहे हैं वो बीजेपी के सपोर्टर है. साल 2000 से ही बिहार में कांग्रेस ने आरजेडी के नेतृत्व को स्वीकार किया है. 2019 में भी कांग्रेस ने तेजस्वी के नेतृत्व में ही चुनाव लडा था.

आरजेडी के अध्यक्ष के इस बयान ने कांग्रेसियों के बीच खलबली मचा दी है. आरजेडी अध्यक्ष के इस बयान से कांग्रेसी बेहद नाराज हो गये हैं. पार्टी के सीनियर लीडर निखिल कुमार कहते हैं कि गठबंधन और सीएम उम्मीदवारी को लेकर जगता बाबू थोडी जल्दबाजी में बोल गये हैं. हकीकत ये है कि अभी 2020 चुनाव को लेकर गठबंधन हुआ ही नहीं है. नवंबर में चुनाव होने हैं. उस वक्त तक क्या होगा होगा जानता है. अभी तो गठबंधन का स्वरुप क्या होगा और कॉमन मिनिमम प्रोग्राम क्या होगा इसी पर चर्चा नहीं हुई है.

वहीं पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष समीर सिंह ने भी स्पष्ट किया है कि तेजस्वी आरजेडी का नेतृत्व कर सकते हैं. कांग्रेस का नेतृत्व तो सोनिया गांधी और राहुल गांधी ही कर रहे हैं. तेजस्वी कांग्रेस का नेतृत्व नहीं कर सकते हैं. अभी तो गठबंधन को लेकर कोई बात ही नहीं है. हमारा आलाकमान कहेगा तो चुनाव परिणाम के बाद नेता चुन लिया जाएगा. या फिर आलाकमान से ये निर्देश आएगा कि हम चुनाव से पहले ही किसी को नेता मान लें तो मान लेंगे. अभी इस मामले पर कोई चर्चा ही नहीं हुई है.

वहीं समीर सिंह ने सीट बंटवारे के फार्मूले को लेकर भी अपनी राय स्पष्ट कर दी. कार्यकारी अध्यक्ष ने कहा कि लोकसभा चुनाव में जिसकी हैसियत नहीं थी उसे भी ज्यादा सीट दे दी गयी. जो वोट ट्रान्सफर करा पाने की भी क्षमता नहीं रखते थे. वो ज्यादा सीट ले गये. और हम चुनाव हार गये.

हम ये कहना चाहते हैं कि कांग्रेस कि स्थिती पहले से काफी मजबूत हुई है. इसलिए हमारे सहयोगी गलतफहमी में न रहे. हमने अपना जनाधार गांधी मैदान की रैली में दिखा दिया था. पिछली बार हम जितनी सीट पर चुनाव लडे थे उससे ज्यादा सीटों पर चुनाव लडेंगे.  

वजहें
कांग्रेस तेजस्वी को अभी सीएम उम्मीदवार इसलिए नहीं मान रही क्योंकि लोकसभा चुनाव में आरजेडी सभी सीटें हार गयी थीं. और कांग्रेस को एक सीट मिली थी. लोकसभा चुनाव के वक्त कांग्रेस को महागठबंधन में आरजेडी के दवाब के कारण कम सीटें मिली थीं. लेकिन विधानसभा चुनाव में आरजेडी पर दवाब बनाकर पार्टी ज्यादा सीटें हासिल करना चाहती है.

अंदर की बात
बीजेपी नेताओं की ओर से लगातार बीजेपी के सीएम कैंडिडेट देने की मांग ने भी कांग्रेस के लिए नयी उम्मीद को जिंदा रखा है. कांग्रेस को उम्मीद है कि सीएम कैंडिडेट के नाम पर अगर जेडीयू बीजेपी से अलग होती है तो पार्टी नीतीश कुमार को सपोर्ट करेगी. नीतीश कुमार के नेतृत्व में आरजेडी से अलग हम वीआईपी पार्टी को लेकर गठबंधन की भी कोशिशें हो सकती हैं.

आगे क्या
आरजेडी कांग्रेस की नाराजगी दूर करने के लिए अप्रैल महीने में होनेवाले राज्यसभा चुनाव और विधान परिषद के चुनाव में एक सीट दे सकती है. या फिर आरजेडी की ओर तत्काल महागठबंधन की मीटिंग बुलाकर बीच का रास्ता निकालने की कोशिश की जाय. जिसकी संभावना कम ही दिखती है.