बिहार-UP का लाइफ लाइन माने जाने वाले पुल का 18 माह बाद भी पूरा नहीं हुआ काम
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बिहार-UP का लाइफ लाइन माने जाने वाले पुल का 18 माह बाद भी पूरा नहीं हुआ काम

लोगों का कहना है कि इस पुल निर्माण का कार्य संवेदक सिर्फ रात्रि में कराते हैं. दिन में कभी काम होते किसी ने नहीं देखा है और तो और पुल निर्माण कार्य में इस्तेमाल होने वाली सामग्रियां घटिया किस्म की मानक और इस्टिमेट से अलग है.

बिहार-UP का लाइफ लाइन माने जाने वाले पुल का 18 माह बाद भी पूरा नहीं हुआ काम.

इमरान अजीज/बगहा: बिहार-यूपी को जोड़ने वाले ठकराहा-तमकुही बांसी नदी पुल का निर्माण 100 दिन में चले ढ़ाई कोस...वाली कहावत चरितार्थ कर रहा है. दरअसल, बिहार-यूपी की लाइफ लाइन माने जाने वाले इस पुल का शिलान्यास वर्ष 2017-18 में हुआ था और 18 माह में कार्य पूर्ण कर लेने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था, लेकिन निर्माण कार्य इतने सुस्त गति से चल रहा है कि अब इलाके के ग्रामीण और दैनिक यात्री भी परेशान होने लगे हैं. 

लोगों का कहना है कि इस पुल निर्माण का कार्य संवेदक सिर्फ रात्रि में कराते हैं. दिन में कभी काम होते किसी ने नहीं देखा है और तो और पुल निर्माण कार्य में इस्तेमाल होने वाली सामग्रियां घटिया किस्म की मानक और इस्टिमेट से अलग है.

हैरत की बात यह कि निर्माण स्थल पर न कोई बैरिकेडिंग और ना ही योजना और पुल निर्माण की लागत के बोर्ड या शिलापट्ट लगाना संवेदक ने मुनासिब समझा है, जो कार्यशैली पर सवाल खड़े कर रहा है. खतरा के साथ घोटाले की राशि की हेराफेरी से इंकार नहीं किया जा सकता है.

बता दें कि जिस पुल का निर्माण हो रहा है. उसके ठीक बगल में अंग्रेजों के जमाने का पुल है, लेकिन चौड़ाई बेहद कम होने की वजह से एक तरफ की सवारी को रोक कर दूसरे तरफ वाली सवारी या गाड़ी को निकालना पड़ता है. बड़े और भारी वाहनों की आवाजाही पूरी तरह ठप है. लिहाजा जाम की समस्या आम बात हो जाती है. हालात ऐसे हैं कि कई दफा यहां दुर्घटनाएं भी होती रहती हैं.

ग्रामीणों का आरोप है कि संवेदक पूल निर्माण में घटिया निर्माण सामग्री का उपयोग करते हैं इसी वजह से दिन में काम नही कराया जाता है.

पुल का शिलान्यास बीजेपी के राज्यसभा सांसद सतीशचंद्र दुबे और स्थानीय जेडीयू विधायक रिंकू सिंह की उपस्थिति में संयुक्त रूप से हुई थी लेकिन निर्धारित समय सीमा बीतने के बावजूद इन जनप्रतिनिधियों ने इसको लेकर अब तक आवाज नहीं उठाया है जिससे स्थानीय ग्रामीण और दोनों प्रदेशों के यात्री हलकान परेशान हो रहे हैं.

मौके पर मौजूद निर्माण एजेंसी के कर्मी कैमरा देखकर बचते भागते हुए संवेदक और निर्माण एजेंसी के मौजूद नहीं होने की दलील देकर बचते नज़र आए. वहीं राज्यसभा सांसद प्रतिनिधि और जिला पार्षद भी इस पुल निर्माण में हो रही गड़बड़ी और देरी पर अपनी नाराज़गी जताते हुए जांच और कार्रवाई की  मांग करते यूपी-बिहार की लाइफ लाइन पर गंभीरता के साथ कार्यों में गति बढ़ाने की बात कर रहे हैं.

सूचना मिलने पर खुद जिला के आईएएस अधिकारी शेखर आंनद एसडीएम बगहा ने भी इस मामले में गंभीरता जताते हुए शीघ्र जांच और तेज़ी का भरोसा दिलाया है.

अब देखना होगा कि यूपी-बिहार की लाइफ लाइन बांसी नदी पुल का निर्माण कार्य समय सीमा बीत जाने के बाद भी इस वर्ष पूरा होता भी है या नहीं और मौक़े से नदारद अभियंता समेत संवेदक पर कोई कार्रवाई होती भी है या नहीं.