पटना: बिहार की राजधानी पटना में वायु प्रदूषण की समस्या बनी हुई है. वायु प्रदूषण का ग्राफ उपर लगातार चढ रहा है. लेकिन वायु प्रदूषण में जो एलीमेंट सबसे बडी वजह बन रहा है वो पार्टीकुलेट मैटर. पटना का पीएम 2.5 तय मानक से तीन गुणा ज्यादा है. विपक्ष ने सरकार पर कन्सट्रक्शन के नाम पर पैसे कमाई के लिए वायु प्रदूषण के हालात पैदा करने का आरोप लगाया है. वहीं रुलिंग पार्टी के नेता जल जीवन हरियाणी योजना से हालात बदलने का दावा कर रहे हैं.
पटना में आमलोगों के बीच एयर पॉल्यूशन चर्चा का विषय बना हुआ है. लेकिन अब पॉल्यूशन में सियासत की भी एंट्री हो चुकी है. दरअसल पटना की हवा पार्टिकुलेट मैटर 2.5 की वजह से खराब हो रही है. पार्टीकुलेट मैटर यानी धुलकण. ये धुलकण कन्सट्रक्शन, डीजल से चलनेवाले गाडियों, पराली जलाने जैसे गतिविधियों के कारण होती है. लेकिन पटना में पीएम 2.5 के गडबड होने की बडी वजह बीते 13 सालों से चले आ रहे बडें कन्सट्रक्शन हैं. पटना का पीएम 2.5 का ग्राफ रविवार को तीन गुणा ज्यादा दर्ज हुआ. पटना का पीएम 2.5 का ग्राफ 163 रहा जबकि तय मानक महज 60 है. वहीं शनिवार को ये आंकडा बढकर 190 से उपर चला गया था.
सरकार ने पीएम 2.5 के ग्राफ को सुधारने के लिए डीजल से चलनेवाली 15 साल पुरानी गाडियों को बैन तो कर दिया है. लेकिन पटना में हो रहे लगातार कन्सट्रक्शन वर्क पर किसी का ध्यान नहीं. पटना में पुल निर्माण का काम बडे पैमाने पर चल रहा है. जब से नीतीश कुमार की सरकार आयी है तब से पुल निर्माण का काम जोरों पर है. लेकिन खासबात ये है कि कुछ पुलों का छोड दिया जाय तो ज्यादातर पुल अपने तय समय सीमा में नहीं बन पाए हैं.
पटना में वर्तमान में चले रहे बडे कन्ट्रक्शन पर गौर करें तो सबसे बडा कन्सट्रक्शन का काम लोहिया पथ चक्र का है. 392 करोड का लोहिया पथ चक्र है. पटना के बेली रोड में ट्रैफिक को स्मूथ करने के लिए ही लोहिया पथ चक्र का निर्माण 2015 दिसंबर में शुरु किया गया था. दो सालों में निर्माण का काम पूरा होना था लेकिन अभी तक काम पूरा नहीं हो सका है. और जिस रफ्तार से काम चल रहा है उसके मुताबिक 2020 तक भी काम पूरा हो जाय तो गनीमत है.
वहीं दूसरी तरफ 750 करोड की लागत से पटना में कई प्रमुख पुलों का निर्माण कराया जा रहा है जिसकी रफ्तार भी धीमी है. सिपारा आरओबी, मीठापुर फ्लाईओवर, जीरो माईल फ्लाईओवर, फतुहा फ्लाईओवर एंड आरओबी . कन्सट्र्कशन के कारण होने वाले वायु प्रदूषण की रोकथाम के लिए सरकार की ओर से पानी का छिडकाव और कन्सट्रक्शन साईट को ग्रीन नेट से घेरने की हिदायत दी गयी है. लेकिन ये हिदायत भी काफी नहीं दिख रही है.
विपक्ष पटना में हो रहे वायु प्रदूषण को लेकर सरकार को जिम्मेवार ठहरा रहा है. आरजेडी विधायक राहुल तिवारी ने कहा है कि सारी गडबडी प्रोजेक्ट के एस्टीमेट कॉस्ट को बढाने को लेकर की जा रही है. आरजेडी विधायक ने कहा है कि बीते कई सालों से पटना में कन्सट्रक्शन का काम चल रहा है जो खत्म होने का नाम नही ले रहा. कोई भी प्रोजेक्ट समय पर खत्म नहीं होता. प्रोजेक्ट का समय बढता है तो जाहिर सी बात है प्रोजेक्ट का एस्टीमेट बढेगा. जिसका फायदा साफतौर पर बिचौलियों को जाता है. और जब प्रोजेक्ट का समय बढेगा तो कन्सट्र्क्शन का समय भी बढेगा . ऐसे में वायुमंडल में धुलकण की समस्या बनी रहेगी. पटना में जो पेड लगे थे वो काट दिये गये. जिसके कारण परेशानी और बढ गयी है.
इधर बीजेपी और जेडीयू ने पॉल्यूशन को लेकर सरकार का बचाव किया है. जेडीयू प्रवक्ता राजीव रंजन ने कहा है कि पॉल्यूशन की रोकथाम के लिए सरकार की ओर से जो संभव उपाय हैं वो किये जा रहे हैं. अब समय आ गया है जब विकास और पर्यावरण के बीच सामंजस्य बैठाने की जरुरत है. वहीं बीजेपी विधायक संजीव चौरसिया ने कहा है कि मामले पर विपक्ष को राजनीति नहीं करनी चाहिए. जिन्होंने वर्षों तक विकास नहीं किया वो आज किस हैसियत से सवाल खडे कर रहे हैं. विकास के क्रम में इसतरह की परेशानी आती है. जिसके समाधान के लिए ही सरकार ने जल जीवन हरियाली योजना पर काम शुरु किया है. मैंनें सरकार को सलाह दी है कि गंगा के बालू के कारण भी वायु में धुलकण की समस्या आ रही है ऐसे में गंगा तट पर अगर बडे बडे पेड लगाये जाएँ तो समस्या का समाधान हो सकता है.