बिहार में तीसरे मोर्चे की सुगबुगाहट शुरू, मिल गए हैं संकेत
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बिहार में तीसरे मोर्चे की सुगबुगाहट शुरू, मिल गए हैं संकेत

पप्पू यादव ने कहा, "बिहार के लोग अब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और आरजेडी का विकल्प खोज रहे हैं. विकल्प देने की हमलोग कोशिश कर रहे हैं." उन्होंने प्रशांत किशोर के बयान का समर्थन करते हुए कहा कि आखिर कब तक बिहार में पुराने आरजेडी कार्यकाल के नाम पर डराकर सत्ता की राजनीति चलती रहेगी.

बिहार में तीसरे मोर्चे की सुगबुगाहट शुरू.

पटना: बिहार में इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर एक ओर जहां विपक्षी दलों के महागठबंधन में मुख्यमंत्री चेहरे को लेकर झंझट जारी है, वहीं अब जन अधिकार पार्टी के प्रमुख और पूर्व सांसद पप्पू यादव तीसरे मोर्चे की कवायद में जुटे हैं. पप्पू यादव चुनावी रणनीतिकार और जनता दल (युनाइटेड) के पूर्व उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर से बिहार के विकास के लिए समर्थन मांगा है. 

वहीं जेएनयू छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष व भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के नेता डॉ. कन्हैया कुमार को भी साथ लेने की कोशिश में हैं.

पप्पू यादव ने कहा, "बिहार के लोग अब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और आरजेडी का विकल्प खोज रहे हैं. विकल्प देने की हमलोग कोशिश कर रहे हैं." उन्होंने प्रशांत किशोर के बयान का समर्थन करते हुए कहा कि आखिर कब तक बिहार में पुराने आरजेडी कार्यकाल के नाम पर डराकर सत्ता की राजनीति चलती रहेगी.

बिहार में कभी तो विकास की बात होनी चाहिए. पूर्व सांसद ने कहा कि हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) और विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के नेताओं से भी उनकी बात चल रही है.

बिहार के विपक्षी महागठबंधन में शामिल दल मुख्यमंत्री चेहरे को लेकर अभी तक एकमत नहीं हैं. राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) जहां तेजस्वी प्रसाद यादव को मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित कर रखा है, वहीं महागठबंधन की घटक हम और राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के नेता कई मौकों पर बतौर मुख्यमंत्री उम्मीदवार तेजस्वी को नकार चुके हैं.

कांग्रेस के कई बड़े नेता भी तेजस्वी को मुख्यमंत्री के चेहरे के रूप में अस्वीकार कर चुके हैं. इस बीच कांग्रेस ने पूर्व लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार के नाम को मुख्यमंत्री चेहरे के रूप में आगे किया है.

सूत्रों का कहना है कि चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर भले ही अपनी अलग पार्टी नहीं बनाने की सार्वजनिक तौर पर घोषणा कर चुके हैं, मगर वे पर्दे के पीछे से बिहार में होने वाले इस चुनाव में जरूर किसी दल की पीठ थपथपाते नजर आएंगे.

इधर, हम प्रमुख जीतनराम मांझी भी प्रशांत किशोर से मिलने दिल्ली गए हैं. हम के प्रवक्ता दानिश रिजवान कहते हैं कि नाम चाहे जो भी दे दें, लेकिन बिहार में विपक्षी दलों को एकसाथ आने की जरूरत है, ना कि तीसरे मार्चे और चौथे मोर्चे की.

उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा, "पप्पू यादव हों या विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव, सभी को एक-दूसरे की पुरानी शिकवा-शिकायतों को छोड़कर एक साथ आना चाहिए."

मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर उन्होंने कहा कि जब सभी लोग एक साथ आ जाएंगे तो चेहरा भी मिल जाएगा. बहरहाल, बिहार में होने वाले चुनाव में अभी काफी देर है, लेकिन पार्टियां इसे लेकर अभी से ही जोड़-तोड़ में जुट गए हैं. अब देखने वाली बात होगी कि चुनाव में महागठबंधन ही सत्तापक्ष के सामने होगा या तीसरा मोर्चा भी अलग दांव लगाएगा.
Input:-IANS