उपेंद्र कुशवाहा ने मांगा सीएम नीतीश कुमार से इस्तीफा, कहा- अब उनसे बिहार नहीं संभलेगा
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उपेंद्र कुशवाहा ने मांगा सीएम नीतीश कुमार से इस्तीफा, कहा- अब उनसे बिहार नहीं संभलेगा

मुजफ्फरपुर में एईएस से हुई बच्चों की मौत के लिए उपेंद्र कुशवाहा ने सीधे तौर पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को जिम्मेवार ठहराया है. 

उपेंद्र कुशवाहा ने नीतीश कुमार पर निशाना साधा है. (फाइल फोटो)

पटनाः मुजफ्फरपुर में एईएस से हुई बच्चों की मौत के लिए उपेंद्र कुशवाहा ने सीधे तौर पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को जिम्मेवार ठहराया है. कुशवाहा ने कहा है कि मुजफ्फरपुर में बच्चों की मौत के पीछे खस्ताहाल स्वास्थ्य व्यवस्था बड़ी वजह है और इसकी सीधी जवाबदेही नीतीश कुमार के ऊपर जाती है.

उन्होंने कहा कि बिहार में नीतीश कुमार पिछले डेढ़ दशक से बिहार में शासन चला रहे हैं. इसके बावजूद स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार नहीं हुआ है. अस्पतालों में डॉक्टरों की भारी कमी है और इलाज के लिए मूलभूत सुविधाएं तक मुहैया नहीं कराई जा रही हैं. 

कुशवाहा ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से सवाल पूछा कि बिहार में 11861 अस्पताल हैं, लेकिन इतने डॉक्टर नहीं हैं. कुशवाहा ने पूछा की ऐसे में कैसे स्वास्थ्य में सुधार संभव है. 8 हजार 182 से अधिक अस्पताल में एक भी डॉक्टर नहीं हैं. अनुबंधित डॉक्टरों की सीट में 75 फीसदी सीट खाली है. उन्होंने कहा, सीएम साफ-साफ बता दें कि जो आज घोषणा कर रहे हैं, वह काम अगले साल 31 मार्च तक हो जायेगा, तब विश्वास होगा कि अगले साल चमकी बुखार से मासूमों की मौत नहीं होगी.

वहीं, उपेंद्र कुशवाहा ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से इस्तीफे की मांग की है. उन्होंने कहा कि उनसे अब बिहार संभल नहीं रहा है. लिहाजा वो इस्तीफा दें और बिहार की जनता से माफी मांगे कि बिहार में विधानसभा का चुनाव करवाया जाए नीतीश कुमार हर मोर्चों पर विफल है. मुजफ्फरपुर में चमकी बुखार से मासूमों की मौत इसका उदाहरण है.

नीतीश के गुस्सा होने के सवाल पर कुशवाहा ने कहा कि अब उनके पास कहने के लिए बचा ही नहीं है इसलिए हर सवाल पर गुस्से से लाल हो जा रहे हैं. 

उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि हम केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन का इस्तीफा नहीं मांगेंगे, क्योंकि अगर हर्षवर्धन इस्तीफा देंगे, तो उनकी ही पार्टी का दूसरा शख्स मंत्री बन जाएगा. इससे स्थिति में कोई परिवर्तन नहीं होगा.

बिहार में 1994 के बाद से चमकी बुखार से मासूम बच्चो के मौत का सिलसिला जारी है केंद्र और राज्य में कई पार्टियों सरकार बनी लेकिन कोई ठोस उपाय नहीं निकाले गये की इन मासूमो के मौत को रोका जा सके बल्कि राजनीति हर बार होती रही.