विजिलेंस डीएसपी वीके वर्मा एएसआई के साथ मंगलवार को दोपहर करीब पौने दो बजे नगर परिषद कार्यालय पहुंचे.
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लखीसराय : नगर परिषद में भ्रष्टाचार की निगरानी जांच शुरू हो गई है. पिछले वित्तीय वर्षों में हुए योजना कार्यों में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार का मामला सामने आने के बाद मंगलवार को निगरानी की जांच शुरू हो गई. आरोप है कि गड़बड़झाले की राशि करोड़ों में है. इस मामले में डीएम से लेकर नगर विकास विभाग और निगरानी विभाग से लेकर पीएमओ तक शिकायत होने के बाद मंगलवार को विजिलेंस के डीएसपी वीके वर्मा मंगलवार को लखीसराय पहुंचेय कर्मियों से पूछताछ करने और दस्तावेजों की जांच के बाद उन्होंने नगर परिषद के पूर्व कार्यपालक पदाधिकारी पर लगे आरोपों के खिलाफ साक्ष्य मिलने की बात कही है. इस मामले में फिलहाल जांच चल रही है.
वहीं, डीएम के स्तर से डीआरडीए निदेशक शमीम अख्तर भी मामले की जांच कर रहे हैं. नगर परिषद के वार्ड सात कार्यानंद नगर निवासी हरिओम कुमार ने वर्ष 2016 से ही शिकायत करना शुरू किया था. उन्होंने पूर्व नगर कार्यपालक पदाधिकारी संतोष कुमार रजक के विरुद्ध चार नवंबर 2016 को आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने का आरोप लगाते हुए निगरानी विभाग को शिकायत की थी. आवेदक का आरोप है कि पैरवी और पहुंच के बल पर अबतक कार्रवाई नहीं हो रही थी. निगरानी जांच शुरू होने के बाद उनकी उम्मीद जगी है.
विजिलेंस डीएसपी वीके वर्मा एएसआई के साथ दोपहर करीब पौने दो बजे नगर परिषद कार्यालय पहुंचे. उन्होंने हेड क्लर्क के बारे में पूछा, तो उन्हें कक्ष में जाने को कहा गया. फटकार लगाते ही कर्मी सहमे और परिचय देने के बाद नप कार्यालय में खलबली मच गई. उन्होंने डस्टबिन मंगाते हुए उसकी गुणवत्ता की भी जांच की. प्रधान सहायक के बतौर रंधीर कुमार के कार्य करने की जांच को लेकर ज्यादा गहमागहमी थी. उनके खिलाफ वार्ड-30 के पार्षद प्रकाश महतो ने भी डीएम को आवेदन दिया है.
बताया जा रहा है कि हरिओम द्वारा लगाए गए आरोप निगरानी की जांच में साबित हुए तो अन्य कर्मी समेत पूर्व कार्यपालक पदाधिकारी पर गाज गिर सकती है. आरोपित पूर्व ईओ के व्यक्तिगत नंबर पर संपर्क करने की कोशिश की गई, लेकिन कॉल नहीं लग पाया. वह फिलहाल चंपारण जिले के बगहा में पोस्टेड हैं. इधर, नगर परिषद के सभापति अरविंद पासवान ने कहा कि वह जांच में पूर्ण सहयोग करेंगे.