पटना: CCTV कैमरे से होगी बादशाही नाले की निगरानी, अतिक्रमण से बचाने तार से घेरने की तैयारी
बाइपास इलाके से निकलने वाले बादशाही नाले के दिन फिरने लगे हैं. जिन जगहों से अतिक्रमण हट रहा है, नाला पुराने आकार में आता जा रहा है. इस काम में उंची इमारतें भी तोड़ी जा रही हैं.
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पटना: बिहार की राजधानी पटना (Patna) के बादशाही नाले की निगरानी सीसीटीवी कैमरों से होगी. नाले पर फिर से अतिक्रमण नहीं हो, इसके लिए तारों से घेरा जाएगा. जल संसाधन विभाग की ओर से लिये गये इस फैसले का राजनीतिक विरोध भी शुरू हो गया है. सहयोगी भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने सवाल उठाये, तो विपक्षी दलों ने भी कहा कि योजना बनती है, लेकिन पूरी कहां होती है. वहीं, जनता दल यूनाइटेड (JDU) ने इसे सरकार की इच्छा शक्ति का नतीजा करार दिया है.
बाइपास इलाके से निकलने वाले बादशाही नाले के दिन फिरने लगे हैं. जिन जगहों से अतिक्रमण हट रहा है, नाला पुराने आकार में आता जा रहा है. इस काम में उंची इमारतें भी तोड़ी जा रही हैं. 13 नवंबर से चल रहे अतिक्रमण हटाने का अभियान खत्म होने के साथ ही पूरा होगा. इसके बाद जल संसाधन विभाग की ओर से नाले की फिर से रि-मॉडलिंग करायी जाएगी.
जल संसाधन विभाग नाले के उद्धार को लेकर योजना बना रहा है, जिस पर मार्च महीने से काम शुरू होगा. उससे पहले सीसीटीवी और तार से घेरने का काम किया जायेगा, ताकि भविष्य में नाला अतिक्रमण की चपेट में नहीं आए. अगर किसी ने अतिक्रमण की कोशिश की, तो उसको जेल की हवा खानी पड़ेगी.
नाले पर केवल मकान ही नहीं बनाये गये. रास्ता भी बना लिया गया. नाला पार करने के लिए निजी पुलिया का भी निर्माण कर लिया गया. जिस पर अब प्रशासन का हथौड़ा चल रहा है. स्थानीय लोग भी सरकार की कार्रवाई से खुश हैं.
स्थानीय लोग भले ही सरकार की ओर से उठाये गये कदम की सराहना कर रहे हैं, लेकिन सरकार में शामिल बीजेपी के नेताओं को इसमें अफशरशाही की बू नजर आ रही है. वो इसे खाओ-पकाओ योजना करार दे रहे हैं, तो विपक्ष भी हमलावर है. बीजेपी और कांग्रेस की तरह आरजेडी भी सवाल खड़ा कर रही है, लेकिन जेडीयू सरकार के फैसले का बचाव कर रही है.
भारी बारिश के बाद सितंबर और अक्तूबर महीने में राजधानी पटना जिस तरह से जल जमाव की चपेट में रही, उससे सबक लेते हुये सरकार ने नालों के अतिक्रमण को अभियान चलाकर तोड़ रही है. साथ ही यह तय करने में लगी है कि आनेवाले दिनों में फिर से अतिक्रमण नहीं हो, लेकिन सवाल यह है कि अगर जिम्मेदार अधिकारी पहले से चेते होते, तो इसकी नौबत नहीं आती.
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