एक छोटे से शहर सीतामढ़ी से निकलकर मधु झा मिश्रा ने विश्व स्तर पर बिहार की कला का परचम लहराया है.
Zee Bihar-Jharkhand Web Team
Aug 15, 2023
पारंपरिक कला
उन्होंने विश्व स्तर पर बिहार की पारंपरिक कला मंडला, लीपन और मधुबनी पेंटिंग को एक अलग पहचान दिलाई है.
बिहार की शान
लेकिन यह सफलता की राह इतनी भी आसान नहीं थी, इसके लिए उन्हें कड़ी मेहनत और संघर्ष करना पड़ा.
सफर
आंखों में सफलता के सपने लिए साल 1998 में वह सीतामढ़ी से निकलकर अमेरिका पहुंची.
भरतीय कल्चर का प्रचार
सफलता के कई पड़ावों को पार करने के बाद भी उनका मन अपने कल्चर से अमेरिका सहित दुनिया के तमाम देशों के लोगों को अवगत कराने को लेकर बेचैन रहा.
शुरुआत
साल 2023 के जनवरी महीने में उन्होंने वह शुरुआत की जिसकी सोच उनके अंदर हिलोरे मार रही थी.
की कड़ी मेहनत
एक सॉफ्टवेयर प्रोग्रामर के लिए इसको आगे ले जाना इतना आसान नहीं था. लेकिन, फिर मन बिहारी जो ठहरा, वह कहां मानने वाला था.
सूप से बनाया कैनवास
घर से अपने बैग में रखकर लाए सूप को मधु झा मिश्रा ने कैनवास का आकार दे दिया और फिर क्या था इस कला ने धीरे-धीरे रंग दिखाना शुरू किया.
वेबसाइट
इसके बाद हुनरमंद लोगों को पहचान दिलाने के लिए उन्होंने भगवान शिव के नाम से वेबसाइट https://anaadee.com/ बनाया.
विलुप्त हो रही कला
वह अपने यहां विलुप्त होने के कगार पर पहुंच गई, बांस की कलाकृतियों को बचाने की जद्दोजहद में लगी हुई है.
बांस की कलाकृतियां
मौनी, पकड़ी, बांस की डलिया, पंखा ना जाने क्या-क्या बस उनकी उड़ान इन सबको कैनवास बनाने को तैयार है.
इंस्टाग्राम पेज
इंस्टाग्राम पर मधु झा मिश्रा के पेज https://www.instagram.com/anaadee.hunar/ पर जाकर देखें, आप दंग रह जाएंगे.
सरकार ने सराहा
संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार की तरफ से मधु झा मिश्रा के मंडला पेंटिंग आर्ट को एक पहचान दी गई.
मंडला पेंटिंग आर्ट
दरअसल संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार ने इनकी इस कला को सराहा और हर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म जैसे कि इंस्टाग्राम, फेसबुक और ट्वीटर पर साझा किया.
कला को मिली पहचान
बिहार की इस बेटी ने आजादी के इस अमृत महोत्सव में बिहार के आर्ट की पहचान दुनिया के सबसे विकसित पश्चिमी सभ्यता वाले देश अमेरिका को भी करा दी है और आज वहां बिहार का डंका बज रहा है.