Gand Mool Nakshatra: जानिए गंडमूल दोष क्या है, जन्म के बाद कैसे आता है कुंडली में, ये हैं इसकी शांति के उपाय

Zee Bihar-Jharkhand Web Team
Sep 19, 2023

भगवान गणेश की पूजा करनी चाहिए

अश्विनी, मघा या मूल नक्षत्र में जन्मे लोगों को भगवान गणेश की पूजा करनी चाहिए.

27 दिन तक 27 मूली के पत्ते अपने पास रखें

जन्म के दिन से लेकर 27 दिन तक 27 मूली के पत्ते अपने पास रखें और अगले दिन उन्हें जल में प्रवाहित कर दें.

पिता को जेब में फिटकरी का एक टुकड़ा

नवजात शिशु के पिता को शिशु का चेहरा नहीं देखना चाहिए. पिता को जेब में फिटकरी का एक टुकड़ा रखना चाहिए.

जन्म के 27 दिन बाद शांति पूजा

जातक को जन्म के 27 दिन बाद शांति पूजा का आयोजन करना चाहिए.

कुल 27 नक्षत्र

कुल 27 नक्षत्र हैं जिनमें से छह पर राहु और केतु का शासन है. छह नक्षत्र अश्विनी, रेवती, मघा, आश्लेषा, मूल या ज्येष्ठा हैं.

जन्म के समय चंद्रमा के छह नक्षत्र

किसी व्यक्ति का जन्म के समय चंद्रमा के छह नक्षत्रों में से किसी एक में होता है तो वह व्यक्ति गंड मूल दोष का जातक बन जाता है.

समस्याओं का सामना

जातक को अपने अंदर रवैये संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ेगा.

गंडमूल नक्षत्र में जन्मे जातक

अगर गंडमूल नक्षत्र में जन्मे जातक सकारात्मक प्रभाव में हों, तो उनके विचार अलग-अलग होंगे.

यह दोष हर 18वीं कुंडली में होता है

इस दोष को गंडमूल दोष कहा जाता है. यह दोष हर 18वीं कुंडली में होता है.

जीवन कष्ट और संकट से भरा

मूल नक्षत्र में जन्म लेने वाले व्यक्ति का जीवन कष्ट और संकट से भरा होता है.

जातकों को बुध की पूजा करनी चाहिए

आश्लेषा, ज्येष्ठा या रेवती नक्षत्र के जातकों को बुध की पूजा करनी चाहिए.

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