गूलर के वृक्ष का सनातन धर्म में खास महत्व है. इसकी पूजा का कोई दिन तय नहीं है

Zee Bihar-Jharkhand Web Team
Apr 14, 2023

नवग्रहों के वृक्षों में गूलर भी एक महत्वपूर्ण वृक्ष है, जिस पर शुक्र का अधिपत्य है

माना जाता है कि वृषभ और तुला राशि के लिए प्रतिनिधि पेड़ के रूप में इसकी मान्यता है

गूलर के फल, पत्ते और जड़ से कई रोगों का इलाज होता है. ग्रह दोषों को शांत किया जाता है

गूलर के वृक्ष को रोजाना जल अर्पित करने से शुक्र ग्रह की अनुकूलता प्राप्त होती है

शुक्र के बारे में कहते हैं कि यह प्रेम, सौंदर्य, आकर्षण और लावण्य के लिए प्रतिनिधि ग्रह है

कुंडली में शुक्र अशुभ स्थिति में हो तो गूलर को जल अर्पित करके पूजा करके शांत कर सकते हैं

धरती पर आज तक गूलर का फूल किसी ने नहीं देखा, जिसको लेकर कई चर्चाएं होती हैं

कहते हैं गूलर के फूल रात में खिलते हैं और कुछ ही क्षणों में लुप्त हो जाते हैं

इसके फूल धरती पर भी नहीं गिरते. यह कुबेर की संपदा है और लोगों के लिए उपलब्ध नहीं है

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