होली का त्योहार बिना गुलाल के फीका माना जाता है. इस दिन गुलाल लोगों पर लगाया जाता है.
अरारोट के पाउडर के अंदर रंग मिलाकर एक प्रोसेस के जरिए गुलाल बनाया जाता है.
लाल रंग मर्करी सल्फेट से बनता है और सूखे गुलाल में एस्बेस्टस या सिलिका मिलाई जाती है.
रूपहला रंग एल्युमिनियम ब्रोमाइड से बनता है और नीला रंग प्रशियन ब्लू नामक रसायन से बनता है.
हरा रंग कॉपर सल्फेट से बनता है और पर्पल रंग क्रोमियम आयोडाइड से बनता है.
गुलाल बनाने के लिए कई रसायनों का प्रयोग होता है. यह गुलाल काला रंग लेड ऑक्साइड से बनता है.
परंपरागत गुलाल को हर्बल गुलाल नाम दिया गया है, क्योंकि सामग्री स्किन के लिए बहुत लाभकारी होती है.
परंपरागत गुलाल वसंत के फूलों से बनाया जाता है. जिसमें जामुन, मसालों और अन्य पौधों के प्राकृतिक रंगों का इस्तेमाल किया जाता है.
रंग-बिरंगे गुलाल के बिना होली की कल्पना भी नहीं की जा सकती है. होली खेलने के लिए हर किसी की पहली पसंद ही होता है.