शमी को व्हाइट कच्छ के नाम से भी जाना जाता है. यह भारतीय पौधा है जो औषधीय गुणों से भरपूर है. इसका वानस्पतिक नाम Acacia polyacantha Willd है.
हम सभी जानते हैं कि शमी के पौधे के अनेक फायदे होते हैं. इसके साथ-साथ यह धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व के लिए भी जाना जाता है. इसके अलावा यह औषधीय लाभों का भी एक स्रोत है.
शमी का पौधा तुलसी के पौधे की तरह ही बहुत फायदेमंद होता है. इसके फल, पत्ते, जड़ और जूस को उपयोग करके शनि देव के प्रतिकूल प्रभाव को कम किया जा सकता है.
घर में शमी का पेड़ लगाने से सुख, शांति और धन की प्राप्ति होती है. इसके साथ ही यह नकारात्मक ऊर्जा से भी बचाव करता है.
इसका उपयोग कई बीमारियों के इलाज में किया जाता है, जैसे कि मानसिक विकार, सिज़ोफ्रेनिया, श्वसन मार्ग के संक्रमण, दाद, दस्त, प्रदर आदि.
यह पेड़ मध्यम आकार का होता है और इसकी शाखाएं सफेद-प्यूब्सेंट होती हैं, जबकि छाल सफेद होती है. इस पर पेपर फ्लेक्स में पपड़ी पड़ जाती है. इसके फूल धीमी गति से बढ़ते हैं, जो हल्के पीले होते हैं. साथ ही फल सिरे पर त्रिकोण होने के साथ सपाट होते हैं, जिसमें एक पतला डंठल होता है.
शमी के पौधों को अंकुरण के समय खासकर बहुत अधिक प्रकाश की आवश्यकता होती है. पौधे को छायादार जगह पर बड़ी मात्रा में रोशनी के साथ रखना चाहिए.
शमी के पौधे को अंकुरण के लिए न्यूनतम तापमान 9-20 डिग्री सेल्सियस चाहिए. पौधे बढ़ते ही मजबूत होते जाते हैं, लेकिन मध्य प्रदेश, राजस्थान और गुजरात जैसे अधिक गर्म राज्यों में ये पौधे सूरज की रोशनी को सहन नहीं कर पाते है. इसलिए ऐसे क्षेत्रों में पौधों को छाया में रखना चाहिए.
शमी के पौधों को छंटाई करने की आवश्यकता नहीं होती, लेकिन यह अच्छा रहता है. क्योंकि इससे पौधों का विकास तेजी से होता है. इसलिए पौधों की छंटाई करें और सभी सूखे पत्तों और फूलों को हटा दें.