आम तौर पर कुर्ताफाड़ होली युवकों के बीच ही खेली जाती है.
ग्रुप के लोग आपस में ही एक-दूसरे के कुर्ते फाड़ते हैं और होली के रंग में सराबोर हो जाते हैं.
होली के दिन कुर्ता फाड़ने के लिए किसी की इजाजत लेने की जरुरत नहीं होती, लेकिन ये इंसान का मूड देखकर होता है.
ज्यादातर लोग कुर्ता फाड़ने के बाद बुरा नहीं मानते क्योंहकि यही 'चलन में' होता है.
कुर्ता या शर्ट फटने की आशंका से लोग होली के दिन सुबह से ही पुराने कपड़ों में निकलते हैं.
कुर्ता फाड़ते वक्ते सामान्यो शिष्टादचार का भी खासा ध्यान रखा जाता है.
फटे कपड़ों में टोली बनाकर गली-सड़कों पर घूमने से फकीरी और मस्तीछ का अहसास होता है.