Lingaraja Temple

दुनिया का अकेला मंदिर जहां भगवान शिव को चढ़ाते हैं तुलसी दल

Zee Bihar-Jharkhand Web Team
Aug 18, 2023

ज्योतिर्लिंग

भगवान शिव के कुल 12 ज्योतिर्लिंग हैं, जिसमें से भगवान लिंगराज को ज्योतिर्लिंगों का राजा कहा जाता है.

लिंगराज मंदिर की स्थापना

10वीं और 12वीं सदी में लिंगराज मंदिर की स्थापना कराई गई थी.

भगवान हरिहरनाथ

मान्यता है कि यहां भगवान हरिहरनाथ विराजते हैं. हरि मतलब भगवान विष्णु और हर मतलब भगवान शिव.

लिंगराज मंदिर

मंदिर का नाम लिंगम के राजा को दर्शाने के लिए रखा गया है, जो कि शिव का भौतिक रूप है.

विष्णु-शिव की एक साथ पूजा

यहां भगवान विष्णु और भगवान शिव की एक साथ पूजा की जाती है. इस मंदिर को भुवनेश्वर का सबसे बड़ा मंदिर माना जाता है.

मरीचि कुंड

लिंगराज मंदिर परिसर में स्थित एक छोटे कुएं की महत्ता के बारे में भी आपको जानना चाहिए. मान्यता है कि यह मरीचि कुंड है. महिलाओं के यहां स्नान करने से संतान से जुड़ी परेशानियां हल हो जाती हैं.

कब बना था मंदिर

कहा जाता है कि सोमवंशी राजा ययाति प्रथम ने इस मंदिर का निर्माण कराया था. मान्यता है कि यहां लिंगराज स्वयं विराजित हैं.

तुलसी दल का प्रयोग

दुनिया भर में कहीं भी भगवान शिव की पूजा में तुलसी दल का प्रयोग वर्जित है लेकिन लिंगराज मंदिर अकेला मंदिर है, जहां भोलेनाथ को बेलपत्र के साथ तुलसीदल भी अर्पित किया जाता है.

भगवान विष्णु-शिव एक साथ

भगवान शिव को बेलपत्र के साथ तुलसी दल चढ़ाने का एक कारण यह भी है कि यहां भगवान शिव और भगवान विष्णु एक साथ विराजते हैं.

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