आचार्य मदन मोहन के अनुसार टैरो कार्ड की उत्पत्ति 15वीं सदी के यूरोप में हुई थी. इन्हें पहले खेल के रूप में इस्तेमाल किया जाता था, बाद में इन्हें भविष्यवाणी के लिए प्रयोग किया जाने लगा.
Jul 16, 2024
टैरो कार्ड का अविष्कार
टैरो कार्ड का अविष्कार इटली में हुआ था. इसे 'ट्राइंफ' या 'टारोक' कहा जाता था. इसका प्रयोग सबसे पहले मिलान, फेरारा और बोलोग्ना में देखा गया.
टैरो कार्ड की संरचना
एक टैरो डेक में कुल 78 कार्ड होते हैं. ये दो भागों में बंटे होते हैं: मेजर अर्चना (22 कार्ड) और माइनर अर्चना (56 कार्ड) आदि.
मेजर अर्चना कार्ड
मेजर अर्चना कार्ड प्रमुख जीवन की घटनाओं, मूल्यों और विश्वासों का प्रतिनिधित्व करते हैं. ये कार्ड जीवन के महत्वपूर्ण पहलुओं पर ध्यान केंद्रित करते हैं.
माइनर अर्चना कार्ड
माइनर अर्चना कार्ड दैनिक जीवन की छोटी-छोटी घटनाओं और अनुभवों को दर्शाते हैं. इन्हें चार सूट्स में बांटा गया है: कप्स, पेंटाकल्स, स्वॉर्ड्स, और वैंड्स आदि.
टैरो कार्ड रीडिंग
टैरो कार्ड रीडिंग में कार्ड को विशेष क्रम में सजाया जाता है और उनकी स्थिति और छवियों के आधार पर व्याख्या की जाती है. इसे 'स्प्रेड' कहा जाता है.
टैरो कार्ड कैसे बताते हैं भविष्य
टैरो कार्ड रीडर कार्ड की छवियों, प्रतीकों और उनकी स्थिति के आधार पर वर्तमान परिस्थितियों और भविष्य की संभावनाओं का विश्लेषण करते हैं.
टैरो कार्ड की व्याख्या
टैरो कार्ड की व्याख्या करने के लिए गहन ज्ञान और अनुभव की आवश्यकता होती है. प्रत्येक कार्ड का अपना अर्थ और महत्व होता है.
टैरो कार्ड का उपयोग
टैरो कार्ड का उपयोग व्यक्तिगत मार्गदर्शन, आत्म-अवलोकन और निर्णय लेने में सहायता के लिए किया जाता है. यह आत्म-जागरूकता को बढ़ाने का एक साधन है.
टैरो कार्ड और आस्था
टैरो कार्ड रीडिंग पर विश्वास करने वाले लोग इसे एक आध्यात्मिक अभ्यास मानते हैं, जबकि अन्य इसे सिर्फ एक मनोरंजन के रूप में देखते हैं. इसके प्रभाव व्यक्ति की आस्था और दृष्टिकोण पर निर्भर करते हैं.