Thawe Mandir History

400 साल पुराना है थावे दुर्गा मंदिर का इतिहास, भक्त की पुकार पर प्रकट हुई थी मां

मां थावेवाली का प्राचीन मंदिर

मां थावेवाली का प्राचीन मंदिर गोपालगंज जिला मुख्यालय से करीब 6 किलोमीटर दूर पर स्थित है.

भक्त रहषु भगत

मान्यता है कि यहां मां दुर्गा अपने भक्त रहषु भगत के बुलावे पर आई थी.

राजा मनन सिंह

पौराणिक कथाओं के अनुसार राजा मनन सिंह हथुआ का राजा था जो अपने आपको मां दुर्गा का सबसे बड़ा भक्त मानता था.

राज्य में अकाल

गर्व होने के कारण वो अपने सामने किसी को भी मां का भक्त नहीं मानता था, जिसके चलते राज्य में अकाल पड़ गया और लोग खाने को तरसने लगे.

कामाख्या देवी मां

थावे में कामाख्या देवी मां का एक सच्चा भक्त रहषु रहता था जो दिन में घास काटता और रात को उसी से अन्न निकल जाता था.

चमत्कार

इससे वहां के लोगों को अन्न तो मिलने लगा, लेकिन इस चमत्कार का राजा को विश्वास नहीं हुआ.

रहषु भवानी

इसके बाद राजा ने रहषु को ढोंगी बताते हुए मां को बुलाने को कहा.

थावे भवानी

रहषु जानता था कि अगर मां यहां आएंगी तो राज्य बर्बाद हो जाएगा, इसलिए उसने राजा से प्रार्थना की. लेकिन वह घमंडी राजा नहीं माना.

सिंहासिनी भवानी

कहा जाता है कि रहषु की प्रार्थना पर मां कामाख्या से चलकर कोलकाता, पटना और आमी होते हुए थावे पहुंची थीं.

मां थावेवाली

मां के आते ही राजा के सभी भवन गिर गए और उसे मोक्ष मिल गया.

भव्य मंदिर

मां ने जहां दर्शन दिए थे, आज वहां एक भव्य मंदिर है. उसके कुछ ही दूरी पर रहषु भगत का भी मंदिर है.

रहषु भगत का मंदिर

मान्यता है कि जो लोग मां के दर्शन के लिए आते हैं वे रहषु भगत के मंदिर में भी जरूर जाते हैं, तभी उनकी पूजा पूरी मानी जाती है.

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