इस गांव के बुजुर्गों से बात करने पर पता चला कि लगभग 250 वर्ष पूर्व इस गांव में कुछ दांगी समाज के लोग रहते थे. जब होली के दौरान एक महिला के पति की मृत्यु हो गई थी. उस व्यक्ति की अर्थी उठी और गांव के उस स्थान तक आते-आते महिला ने भी प्राण त्याग करने की ठान ली थी.