786 को पवित्र क्यों माना गया है? जानिए 10 महत्वपूर्ण तथ्य
Zee Bihar-Jharkhand Web Team
Dec 24, 2024
बिस्मिल्लाह का अंकित रूप
786 को 'बिस्मिल्लाह-इर-रहमान-इर-रहीम' (अल्लाह के नाम से, जो करुणामय और दयालु है) का संख्यात्मक रूप माना जाता है. अरबी शब्दों को 'अब्दज' पद्धति में बदलने पर इसका कुल योग 786 होता है.
इस्लाम में संख्या का महत्व
इस्लाम में हर संख्या का एक गहरा अर्थ है. 786 को बिस्मिल्लाह का प्रतीक मानते हुए इसे किसी काम की शुरुआत में शुभ माना जाता है.
सिक्कों और नोटों पर उपयोग
कई मुस्लिम देशों में 786 का उपयोग नोटों, सिक्कों और व्यापारिक कागजों पर किया जाता है. यह विश्वास है कि इससे बरकत और सुरक्षा होती है.
धार्मिक ग्रंथों से संबंध
यद्यपि कुरान में 786 का उल्लेख नहीं है, लेकिन धार्मिक विद्वान इसे इस्लामिक विश्वास का हिस्सा मानते हैं.
हिंदू और इस्लाम में समानता
कुछ विद्वान मानते हैं कि 786 का हिंदू धर्म के 'ॐ' से गहरा संबंध है, क्योंकि दोनों को शुभ माना जाता है. यह समानता धर्मों के बीच की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक कड़ी को दिखाती है.
धार्मिक तावीज में उपयोग
786 को अक्सर तावीज में लिखा जाता है और इसे पहनने वाले को बुरी नजर से बचाने का विश्वास किया जाता है.
व्यवसाय में शुभता का प्रतीक
मुस्लिम व्यापारी अपने व्यवसाय के दस्तावेजों पर 786 अंकित करते हैं. उनका मानना है कि इससे व्यापार में उन्नति होती है.
संरक्षण का प्रतीक
786 को घर, वाहन और अन्य स्थानों पर लिखने का प्रचलन है ताकि यह सुरक्षा प्रदान करे.
शादी और अन्य समारोह
शादी के निमंत्रण पत्रों में 786 अंकित करना एक शुभ परंपरा मानी जाती है.
आध्यात्मिक जुड़ाव
यह संख्या अल्लाह के प्रति आस्था और श्रद्धा को दर्शाती है. इसे लिखने या बोलने मात्र से मन में शांति का अनुभव होता है.