लाल रंग का पवित्रता से संबंध

हिंदू धर्म में लाल रंग को शुभ और पवित्र माना जाता है. यह रंग सकारात्मक ऊर्जा और मंगल ग्रह का प्रतीक है, जो धार्मिक कार्यों में शुभता लाता है. रामचरितमानस को लाल कपड़े में लपेटकर इसकी पवित्रता को बनाए रखा जाता है.

PUSHPENDER KUMAR
Nov 20, 2024

बुरी शक्तियों से बचाव

लाल कपड़े में रामचरितमानस को रखने का एक बड़ा कारण यह भी है कि इसे बुरी शक्तियों और नकारात्मक ऊर्जा से बचाया जा सके. यह कपड़ा एक सुरक्षा कवच की तरह कार्य करता है.

दिव्यता और सम्मान का प्रतीक

लाल कपड़े में लिपटे रामचरितमानस को देखना उसकी दिव्यता और महत्व को दर्शाता है. इससे ग्रंथ के प्रति सम्मान और श्रद्धा बढ़ती है.

ऐतिहासिक परंपरा का निर्वाह

महर्षि वाल्मीकि और तुलसीदास जी ने भी अपने समय में अपने पवित्र ग्रंथों को लाल कपड़े में सुरक्षित रखा. यह परंपरा सदियों से चली आ रही है.

आध्यात्मिक ऊर्जा का संरक्षण

लाल कपड़ा धार्मिक ग्रंथों की ऊर्जा को बनाए रखने में सहायक होता है. इससे ग्रंथों की आध्यात्मिक शक्ति संरक्षित रहती है और उन्हें पढ़ने वालों में सकारात्मकता फैलती है.

मंगल कार्यों में लाल रंग का उपयोग

लाल रंग का उपयोग पूजा-पाठ और विवाह जैसे शुभ कार्यों में होता है. रामचरितमानस को लाल कपड़े में रखना इसी शुभता को दर्शाता है.

ग्रंथों की पवित्रता को बनाए रखना

पुराने समय में धार्मिक ग्रंथों को शुद्धता के साथ लिखा जाता था. इन्हें लाल कपड़े में लपेटना उनकी पवित्रता को बनाए रखने का एक माध्यम था.

श्रद्धालुओं की भक्ति बढ़ाना

लाल कपड़े में लिपटा रामचरितमानस श्रद्धालुओं के मन में भक्ति और श्रद्धा का भाव बढ़ाता है. यह परंपरा आस्था को गहरा करती है.

धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व

यह परंपरा न केवल धार्मिक, बल्कि सांस्कृतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है. यह हमारे ग्रंथों की गरिमा को बनाए रखती है.

परंपरा और आधुनिकता का संगम

आज भी रामचरितमानस को लाल कपड़े में लपेटने की परंपरा उसी श्रद्धा और आदर के साथ निभाई जाती है, जैसा प्राचीन समय में होता था. यह दिखाता है कि हमारी परंपराएं आधुनिक समय में भी प्रासंगिक हैं.

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