West Champaran News: ये 21वीं सदी की तस्वीर है, जहां आज भी लोग आशियाना और आबदाना के तलाश में दरबदर भटक रहे हैं. ये बिहार के पश्चिम चंपारण जिले के योगापट्टी के नवलपुर के मंगरी देवी की कहानी है, जो भूमिहीन है. चार बच्चे और पति के साथ दर बदर भटक रही है. यह परिवार कभी स्कूल में रहता है, तो कभी पंचायत भवन में रहता है. पति दिहाड़ी मजदूरी करता है. पत्नी भीख मांगती है. सरकार विकास के दावे करती है. आखिरी पायदान पर खड़े लोगों के बीच योजनाओं को पहुंचाने का दावा करती है, लेकिन सरकार की वो तमाम दावे यहां खोखला साबित हुई है.
योगापट्टी के नवलपुर की रहने वाली मंगरी देवी के इस परिवार को सरकार को देखना चाहिए. अपने योजनाओं की समीक्षा करनी चाहिए. मंगरी देवी का परिवार भूमिहीन है. सालों से यह परिवार कभी स्कूल में रहता है, तो कभी पंचायत भवन में गुजर बसर करने को मजबूर है. कई सालो से यह परिवार बासगीत भूमि के लिए सरकारी दफ्तरों का चक्कर लगा रहा है, लेकिन व्यवस्था में बैठे अधिकारी इस भूमिहीन परिवार को नहीं देख पा रहे हैं.
यह परिवार 20 साल तक स्कूल में रहा है, फिर दो साल से अब नवलपुर के पंचायत भवन में रह रहा है. पंचायत की मुखिया सविता देवी भी अधिकारियों को पत्र लिखकर थक चुकी है, लेकिन अंचल अधिकारी ने इस भूमिहीन परिवार को नहीं देखा है. सरकार ऐसे भूमिहीन परिवार के लिए बसेरा टू अभियान भी चला रही है. इसके पहले बसेरा वन अभियान भी चला था. जिला में सैकड़ों परिवार को बसेरा अभियान के तहत बसीगत भूमि का पर्चा मिला है, लेकिन इस परिवार को आज तक व्यवस्था में बैठे अधिकारी नहीं देख पाए है.
मंगरी देवी बताती है कि उनके चार बच्चे हैं. उनके पास जमीन नहीं है. कभी स्कूल में रहती है, कभी पंचायत में रहती है. पति सीताराम दिहाड़ी मजदूरी करते हैं. वह गांव में भीख मांगती है, जिससे उनके घर का चूल्हा जलता है. अधिकारियों के पास कई बार जा चुकी है, लेकिन कोई अंचलाधिकारी 20 साल में उनको बसीगत का पर्चा नहीं दिलाए हैं. मंगरी देवी सरकार से गुहार लगा रही हैं कि मुझे भी बसेरा तू के माध्यम से 5 डिसमिल जमीन वसीयत भूमि का दिया जाए, ताकि मेरा भी एक सपनों का घर बन सके.
वहीं, पंचायत के मुखिया सविता देवी के पति संतोष राम ने बताया कि मंगरी देवी के परिवार के लिए वह कई बार अंचल अधिकारी को पत्राचार कर चुके हैं. ताकि इस परिवार को बासगीत भूमि का पर्चा मिल सके, लेकिन 20 सालों से इस परिवार को अभी तक पर्चा नहीं मिला है. पंचायत के मुखिया होने के नाते हम लोग इस परिवार को कभी स्कूल में रखते हैं, तो कभी पंचायत भवन में रखते हैं.
गांव के ग्रामीण मेघा यादव बताते हैं कि यह परिवार बहुत ही गरीब परिवार है. इस परिवार को बसेरा टू के माध्यम से सरकार को बासगीत भूमि का पर्चा देना चाहिए, ताकि इस परिवार का भी अपना सपनों का घर बन सके. यह 21वीं सदी की तस्वीर है, जहां एक परिवार 20 सालों से कभी स्कूल तो कभी पंचायत भवन में रहने को मजबूर है. व्यवस्था के अधिकारी इस परिवार की हालत नहीं देख पा रहे हैं. (इनपुट - धनंजय द्विवेदी)
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