'बच्चों के विरूद्ध हिंसा के खिलाफ 20 नवंबर को नीले झंडे से दिखाएं एकजुटता'
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'बच्चों के विरूद्ध हिंसा के खिलाफ 20 नवंबर को नीले झंडे से दिखाएं एकजुटता'

संयुक्त राष्ट्र बाल अधिकार समझौते के भारत में अंगीकरण की 30वीं वर्षगांठ के अवसर पर पटना के चाणक्या राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय के बाल अधिकार केंद्र में बिहार यूथ फॉर चाइल्ड राइट्स के द्वारा यूनिसेफ के तकनीकी सहयोग से किया गया.

पटना में कार्यशाला का आयोजन.

पटना: अगर आप बाल हिंसा मुक्त बिहार बनाना चाहते हैं तो आवाज उठाएं. आने वाले विश्व बाल दिवस यानी 20 नवंबर को अपने छत पर ब्लू गुब्बारा या झंडा या ब्लू स्कार्फ लगाकर बाल अधिकारों के लिए अपनी प्रतिबद्धता दर्शाएं, क्योकि अगर बाल अधिकार के लिए आप आवाज नहीं उठाएंगे तो कौन उठाएगा. उक्त बातें बिहार यूथ फॉर चाइल्ड राइट्स की सदस्य और कक्षा 12वीं की छात्रा प्रियश्वरा ने पटना में आयोजित एक कार्यक्रम में कही.

संयुक्त राष्ट्र बाल अधिकार समझौते के भारत में अंगीकरण की 30वीं वर्षगांठ के अवसर पर पटना के चाणक्या राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय के बाल अधिकार केंद्र में बिहार यूथ फॉर चाइल्ड राइट्स के द्वारा यूनिसेफ के तकनीकी सहयोग से किया गया.
 
बिहार यूथ फॉर चाइल्ड राइट्स की सदस्य और कक्षा 9 की छात्रा प्रियंतरा ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि इस वर्ष विश्व बाल दिवस का थीम इंड चाइल्ड वायलेंस है, जिसका अर्थ है घर, स्कूल, समुदाय और सार्वजनिक स्थानों को बच्चों के लिए हिंसा मुक्त बनाना. ताकि राज्य का हर बच्चा जीवित रहे, सुरक्षात्मक और सुपोषित वातावरण में आगे बढ़े और अपनी पूरी क्षमता हासिल कर सके. जुलाई में सिविल सोसाइटी संस्थाओं के साथ कार्यशाला के दौरान हमने यह तय किया था कि विश्व बाल दिवस के अवसर पर गतिविधियां आयोजित करेंगे.

बिहार यूथ फॉर चाइल्ड राइट्स की यात्रा के बारे में बताते हुए प्रियश्वरा ने कहा कि यह बच्चों का वालेटियरी मंच है जो बच्चों के अधिकारों के लिए काम करता है. आज यह मंच अपना पहला  वर्षगांठ मना रहा है. इस फोरम के गठन का विचार यूनिसेफ के साथ बाल अधिकार के साथ एक  परामर्शी कार्यशाला के दौरान आया है. मंच की गतिविधियों के बारे में विस्तार से बताते हुए उन्होंने कहा कि हम फिल्में बनाते हैं, चित्रकारी करते हैं, और बाल अधिकारों, टीकाकरण, माहवारी स्वच्छता प्रबंधन, लैंगिक समानता, पोषण, बाल संरक्षण और भागीदारी पर बच्चों के साथ जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करते हैं. समूह के सभी सदस्य स्वेच्छा से समूह का हिस्सा बने हैं.

कार्यक्रम के दौरान प्रतिभागियों ने नीले गुब्बारे पर अपनी छवि बनाकर अपना परिचय दिया और बताया कि वो  बाल अधिकारों के लिए क्या करेंगे. फोरम के सदस्य रवि रोशन ने सभी प्रतिभागियों के साथ एक खेल भी खेला. 

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि, संचार विशेषज्ञ, यूनिसेफ बिहार निपुण गुप्ता,  ने इस अनूठी पहल के लिए फोरम को धन्यवाद देते हुए कहा कि ये बच्चे और युवा, बच्चों के लिए एक बेहतर दुनिया बनाने के लिए काम करने के लिए प्रेरित करते हैं जहां हर बच्चे को जीवित रहने, विकसित होने और पूरी क्षमता हासिल करने का अधिकार है. यह #KidsTakesOver का सबसे बेहतर उदाहरण है जहां बच्चे स्वयं आगे आकर इस प्रकार के पहल का आयोजन कर रहे हैं. हम सब को इनके कैंपेन में साथ देना चाहिए और हाथ मिला बच्चों के अधिकारों को अपना सहयोग दर्शाने के लिए 20 नवंबर को पूरे पटना और बिहार को गुब्बारे, झंडे सा अन्य किसी नीले रंग के माध्यम से या नीली रौशनी के माध्यम से अपने घर, आफिस या सोशल मीडिया को रंग सकते हैं.

यह सराहनीय है कि बच्चों के पोषण, स्वास्थ्य, सुरक्षा, शिक्षा को बेहतर करने के लिए बिहार सरकार कई कार्यक्रम और योजनाएं चला रही है. पर अब भी काफी बच्चे हिंसा के शिकार होते हैं. राज्य के अपराध अन्वेषण विभाग के जनवरी-दिसंबर 2018 के आंकड़ों के अनुसार बच्चों के साथ शारीरिक और लैंगिक हिंसा के 10,000 मामले दर्ज किए गए हैं. राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण -4 के अनुसार राज्य में 20-24 वर्ष की 42 प्रतिशत महिलाओं की शादी 18 साल से पहले हुई थी. बाल विवाह और बाल श्रम भी बच्चों के खिलाफ हिंसा का एक रूप है. मंच के सदस्यों ने कहा कि हम पहले बाल अधिकारों और बच्चों के खिलाफ हिंसा के बारे में और जानने की कोशिश करेंगे और उसके आधार पर हम ब्लॉग, बाल अधिकारों के मुद्दे पर वीडियो, सोशल मीडिया और अन्य प्लेटफार्मों के माध्यम से प्रचार करेंगे.

प्रतिभागियों में पटना बीट्स, पटना शॉट्स, दीक्षा फाउंडेशन, पटना पॉम्प, गौरव ग्राम सेवा संस्थान, पीएजीसी फाउंडेशन, पटना पोस्टर, बालसखा, चाइल्डलाइन, पटना डायरीज, पटना पोस्टर, कहानीघर और यूनिसेफ के प्रतिनिधि शामिल थे. कार्यक्रम के दौरान बाल अधिकार केंद्र, बाल अधिकार केंद्र से स्नेहा और चंदन भी उपस्थित थे.