यशवंत सिन्हा: IAS की नौकरी छोड़ ज्वॉइन की राजनीति, काबिलियत से देश-दुनिया में बजाया डंका
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यशवंत सिन्हा: IAS की नौकरी छोड़ ज्वॉइन की राजनीति, काबिलियत से देश-दुनिया में बजाया डंका

बिहार में साल 1937 में कायस्थ परिवार में जन्में यशवंत सिन्हा नौकरशाह की नौकरी छोड़कर राजनीति में आए और अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में वित्त और विदेश जैसा अहम मंत्रालय संभाल चुके हैं.

यशवंत सिन्हा ने रिटायरमेंट से 12 साल पहले ही IAS की नौकरी छोड़ दी थी.

नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के वरिष्ठ नेता यशवंत सिन्हा ने पार्टी छोड़ दी है. इसके साथ ही उन्होंने राजनीतिक संन्यास की भी घोषणा कर दी है. बिहार में साल 1937 में कायस्थ परिवार में जन्में यशवंत सिन्हा नौकरशाह की नौकरी छोड़कर राजनीति में आए और अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में वित्त और विदेश जैसा अहम मंत्रालय संभाल चुके हैं. आइए भारतीय राजनीति के इस कद्दावर नेता के बारे में 10 बातें जानते हैं.

  1. 15 जनवरी 1937 को बिहार के अस्थावां में जन्में
  2. IAS बनने से पहले पटना यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर रहे
  3. जयप्रकाश नारायण से प्रभावित होकर राजनीति में आए

1. नालंदा जिले के अस्थावां में जन्में यशवंत सिन्हा ने पटना में प्रारंभिक शिक्षा पूरी करने के बाद 1958 में राजनीति शास्त्र में स्नातकोत्तर की डिग्री हासिल की. सन् 1960 तक पटना विश्वविद्यालय में इसी विषय के प्रोफेसर भी रहे. इसी साल उनका चयन प्रतिष्ठित भारतीय प्रशासनिक सेवा के लिए हो गया. 24 साल तक उन्होंने प्रशासनिक सेवा में नौकरी की.

2. यशवंत सिन्हा ने 4 साल तक बतौर उप प्रभागीय न्यायाधीश और न्यायाधीश भी काम किया. उन्होंने दो साल तक बिहार सरकार के वित्त मंत्रालय में बतौर सचिव और उप सचिव काम किया और उसके बाद भारत सरकार के वाणिज्य मंत्रालय में उप सचिव के पद पर नियुक्त किये गए. 

3. 1971 से 1974 तक वे बोन, जर्मनी, के भारतीय दूतावास में पहले सचिव नियुक्त किये गए. 1973-1974 के दौरान उन्होंने फ्रेंकफ़र्ट में भारतीय महावाणिज्यदूत के पद पर कार्य किया. करीब 7 साल तक इस पद पर काम करने के बाद उन्हें विदेश व्यापार और भारत के यूरोपीय आर्थिक संघ से रिश्तों के विषय में बहुत निपुणता प्राप्त हो गयी. 

4. यशवंत सिन्हा ने बिहार सरकार के औद्योगिक अवसंरचना विभाग और भारत सरकार के उद्योग मंत्रालय में भी पदभार संभाला जहां पर उन्होंने विदेशी व्यावसायिक सहयोग, तकनीक आयात और औद्योगिक समजौते से सम्बंधित कई कार्य किए. 

5. यशवंत सिन्हा ने 1980-84 के दौरान भारत सरकार के भूतल परिवहन मंत्रालय में संयुक्त सचिव का पद संभाला और बंदरगाह, पोत परिवहन और सड़क परिवहन के सम्बंधित मामलों पर काम किया. 

6. 1970 के दशक में जय प्रकाश नारायण के समाजवादी आंदोलन से प्रभावित होकर राजनीति में आने का मन बनाया. 1984 में यशवंत सिन्हा ने भारतीय प्रशासनिक सेवा से इस्तीफा देकर जनता पार्टी के साथ राजनीतिक पारी की शुरुआत की. 1986 में उन्हें पार्टी का अखिल भारतीय महासचिव और सन 1988 में राज्यसभा सदस्य चुना गया. 1989 में जनता दल के निर्माण के पश्चात उन्हें पार्टी का महासचिव बनाया गया. 

7. 1990-1991 के दौरान वे चंद्रशेखर सरकार में वित्त मंत्री बनाये गए. 1996 में उन्हें भारतीय जनता पार्टी का प्रवक्ता बनाया गया. 

8. यशवंत सिन्हा अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में मार्च 1998 से मई 2002 तक वित्त मंत्री रहे और बाद में 2004 के अंत तक विदेश मंत्री रहे. यशवंत सिन्हा सन 2004 के लोकसभा चुनाव में अपने चुनाव क्षेत्र हजारीबाग, बिहार (अब झारखण्ड) से हार गए. उन्होंने सन 2005 में संसद में पुनः प्रवेश किया और सन 2009 में बीजेपी उपाध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया.

9. वित्त मंत्री रहते हुए यशवंत सिन्हा ने ब्याजदरों में कटौती, बंधक ब्याज पर कर कटौती, दूरसंचार क्षेत्र को मुक्त करना, पेट्रोलियम व्यवसाय को नियंत्रण मुक्त करना और राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण का निधिकरण जैसे फैसले लेने के लिए जाने जाते हैं. उन्होंने अंग्रेजों की शाम 5 बजे भारतीय बजट पेश करने 53 वर्ष पुरानी परंपरा को तोड़ दिया. यह परंपरा अंग्रेजों ने अपनी सहूलियत के मुताबिक शुरू की थी. यशवंत सिन्हा ने वित्त मंत्री रहेते हुए अपने अनुभवों के विषय में एक किताब भी लिखी है, जिसका शीर्षक है ‘कॉन्फेशन ऑफ़ अ स्वदेशी’.

10. भारत-फ्रांस संबंधों में उनके योगदान के लिए उन्हें सन 2015 में फ्रांस का सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘लीजन ऑफ ऑनर’ प्रदान किया गया. साल 2014 में पीएम नरेंद्र मोदी की अगुवाई में बनी बीजेपी की सरकार में उन्हें जगह नहीं मिली. इसके बाद वह कई मौकों पर मोदी सरकार की मुखालफत करते रहे. हालांकि उनके बेटे जयंत सिन्हा अभी भी केंद्रीय मंत्री हैं.