MLC चुनाव: NDA का किला हिलाकर तेजस्वी यादव ने दिए बड़े संकेत, बदलेंगे समीकरण
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MLC चुनाव: NDA का किला हिलाकर तेजस्वी यादव ने दिए बड़े संकेत, बदलेंगे समीकरण

बिहार की सियासत में नीतीश कुमार का रंग फीका पड़ता दिखाई दे रहा है. विधान परिषद की 24 सीटों के लिए हुए चुनाव में उनकी पार्टी का प्रदर्शन खास अच्छा नहीं रहा. इस चुनाव में तेजस्वी यादव की राजद ने सबको चौंकाते हुए दूसरा स्थान हासिल किया है.

फाइल फोटो

पटना: बिहार विधान परिषद (Bihar Legislative Council) की 24 सीटों के लिए हुए चुनाव ने बड़े बदलाव के संकेत दिए हैं. इस चुनाव में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने एनडीए यानी कि नेशनल डेमोक्रेटिक अलायन्स (National Democratic Alliance) का गणित बिगाड़ दिया है. भाजपा गठबंधन वाले NDA ने 2015 की तुलना में इस बार कम सीटें जीतीं हैं, जो निश्चित तौर पर उसके लिए झटका है.  

  1. 24 सीटों पर हुए कराए गए थे चुनाव
  2. भाजपा के खाते में आईं 7 सीटें
  3. दूसरे नंबर पर रहे तेजस्वी यादव 
  4.  

कांग्रेस को मिली महज 1 सीट

इस साल 75 सदस्यीय परिषद की 24 सीटों के लिए चुनाव हुए थे. जिसमें एनडीए ने 13 सीटें जीतीं, जिनमें से सात BJP और 5 जदयू के नाम रहीं. इसी तरह, केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस की राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी को एक सीट मिली. निर्दलियों के खाते में 4 सीटें आईं और कांग्रेस (Congress) को महज एक सीट से संतोष करना पड़ा.  

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नीतीश बोले- ऑल इज वेल

इस चुनाव में लालू प्रसाद यादव के बेटे तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) के नेतृत्व वाली राजद ने 6 सीटें जीतीं, यानी BJP से सिर्फ एक कम. इस तरह राजद राज्य के उच्च सदन में दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बन गई है. पिछले चुनाव के मुकाबले पार्टी का कद इस बार बढ़ा है. परिणाम घोषित होने के एक बाद बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Bihar Chief Minister Nitish Kumar) ने एनडीए के कुछ उम्मीदवारों की हार पर आश्चर्य व्यक्त किया. लेकिन साथ ही यह भी दिखाने का प्रयास किया कि सब ठीक है और इससे खास फर्क पड़ने वाला नहीं है. उन्होंने कहा, 'विधान परिषद में NDA के संख्या बल में कमी जरूर आई है, मगर यह चिंता का कारण नहीं है'.

गठबंधन में BJP का दबदबा

जानकार मानते हैं कि इस परिणाम से भविष्य में नीतीश कुमार के भाजपा से रिश्ते खराब हो सकते हैं. दरअसल, विधानसभा चुनाव में जदयू के प्रदर्शन से BJP के साथ उनके संबंधों में खटास आई थी. ऐसे में विधान परिषद में उनकी पार्टी के तीसरे स्थान पर पहुंचने से ‘बात’ बिगड़ सकती है. सत्तारूढ़ गठबंधन में BJP की स्थिति पहले से ज्यादा मजबूत है. उसने जिन 11 सीटों पर चुनाव लड़ा, उनमें से 7 पर जीत हासिल की, यानी कि उसका स्ट्राइक रेट 60% से अधिक रहा. जबकि जदयू ने 12 सीटों पर किस्मत आजमाई, लेकिन जीत केवल 5 पर ही नसीब हुई. इस तरह उसका स्ट्राइक रेट रहा 50% से भी कम.  

अकेले JDU ने जीती थीं ज्यादा सीटें

महत्वपूर्ण बात यह है कि 2015 के चुनाव में भाजपा और जदयू ने मिलकर इनमें से 20 सीटों पर कब्जा कर लिया था. भाजपा ने तब 12 सीटें जीती थीं और नीतीश को आठ सीटें मिली थीं. उस वक्त राजद को महज 2 सीटों से संतोष करना पड़ा था. हालांकि, जदयू और भाजपा 2015 में गठबंधन में नहीं थे. जदयू ने राजद के महागठबंधन के हिस्से के रूप में चुनाव लड़ा था. 

COVID के चलते टल रहा था चुनाव

इस बार 24 सीटों के लिए सोमवार को मतदान हुआ था. लगभग 1.32 लाख मतदाताओं ने 534 मतदान केंद्रों पर 185 उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला किया. ये 24 सीटें पिछले साल जुलाई में खाली हो गई थीं, लेकिन COVID-19 महामारी के कारण चुनाव टालना पड़ा था. इनमें ऐसी 5 सीटें शामिल थीं, जो संबंधित विधान परिषद सदस्य (MLC) की मृत्यु या विधानसभा के लिए उनके चुनाव के कारण, उनके कार्यकाल की समाप्ति से पहले खाली हो गई थीं.

 

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