के.के बिरला फाउंडेशन ने की घोषणा, मनीषा कुलश्रेष्ठ के उपन्यास 'स्वप्नपाश' को बिहारी पुरस्कार
Advertisement
trendingNow1527293

के.के बिरला फाउंडेशन ने की घोषणा, मनीषा कुलश्रेष्ठ के उपन्यास 'स्वप्नपाश' को बिहारी पुरस्कार

भारतेन्दु की प्रेमिका मल्लिका को केंद्र में रखकर लिखा गया मनीषा का उपन्यास ‘मल्लिका’ भी साहित्य जगत में चर्चा में है. 

फोटो साभारः FB/ manisha.kulshreshtha

नई दिल्ली: के.के बिरला फाउंडेशन ने वर्ष 2018 के बिहारी पुरस्कार के लिए राजस्थान की लेखिका मनीषा कुलश्रेष्ठ के हिन्दी उपन्यास ‘स्वप्नपाश’ को चुने जाने की  गुरुवार को घोषणा की. फाउंडेशन ने यहां जारी एक विज्ञप्ति में कहा है कि वर्ष 2008-2017 की अवधि में प्रकाशित पुस्तकों पर विचार करने के बाद 2018 के बिहारी पुरस्कार के लिए जयपुर की प्रसिद्ध लेखिका मनीषा कुलश्रेष्ठ के हिन्दी उपन्यास ‘स्वप्नपाश’ को चुना गया है.

मैं के के बिरला फाउंडेशन की ह्रदय से आभारी हूं: मनीषा
जिसके बाद मनीषा अपने फेसबुक पर लिखती हैं कि, अभी अभी ईमेल से एक खुशखबरी मिली है. संकोच और प्रसन्नता के साथ साझा कर रही हूं. के.के बिरला फाउंडेशन का प्रतिष्ठित बिहारी पुरस्कार ( 2018) आपकी मित्र को 'स्वप्नपाश' पर मिलना घोषित हुआ है. मैं के के बिरला फाउंडेशन की ह्रदय से आभारी हूं. इस पुस्तक का प्रकाशन वर्ष 2016 है. ‘स्वप्नपाश’ मनीषा कुलश्रेष्ठ के पिछले उपन्यासों से एकदम अलग किस्म का उपन्यास है.

fallback

‘स्वप्नपाश’ की नायिका  शिजोफ्रेनिया की शिकार है
जिसकी नायिका शिजोफ्रेनिया की शिकार है. इसमें वैश्वीकरण की अदम्यता और अपरिहार्यता को संजीदगी के अभिव्यक्त किया गया है. वैश्वीकरण के चलते उपजी शहरीकरण और विस्थापन जैसी समस्याओं को लेकर एक जरुरी हस्तक्षेप करता है तथा उन तमाम समस्याओं से जुडे तथ्यों के मार्फ़त सवाल भी खड़े करता है. इसके पहले मनीषा के तीन और उपन्यास ‘शिगाफ’, ‘शालभंजिका’ और ‘पंचकन्या’ प्रकाशित हो चुके हैं. भारतेन्दु की प्रेमिका मल्लिका को केंद्र में रखकर लिखा गया मनीषा का उपन्यास ‘मल्लिका’ भी साहित्य जगत में चर्चा में है. 

मनीषा कुलश्रेष्ठ के कई कहानी संग्रह भी प्रकाशित हो चुके हैं
मनीषा कुलश्रेष्ठ के कई कहानी संग्रह भी प्रकाशित हो चुके हैं. बिरजू महाराज पर भी उन्होंने ‘बिरजू लय’ के नाम से एक पुस्तक लिखी है. मनीषा को इससे पहले राजस्थान साहित्य अकादमी का रांगेय राघव पुरस्कार, वनमाली पुरस्कार, घासीराम वर्मा सम्मान सहित कई अन्य प्रतिष्ठित पुरस्कार भी मिल चुके हैं.इस पुरस्कार के तहत एक प्रशस्ति पत्र, एक प्रतीक चिह्न और ढाई लाख रुपये की राशि भेंट की जाती है. इस पुरस्कार की शुरूआत 1991 में की गई थी. 

Breaking News in Hindi और Latest News in Hindi सबसे पहले मिलेगी आपको सिर्फ Zee News Hindi पर. Hindi News और India News in Hindi के लिए जुड़े रहें हमारे साथ.

TAGS

Trending news