बिप्‍लब: 15 साल बाद लौटे त्रिपुरा, जंग में जीती मुख्‍यमंत्री की कुर्सी, 5 जरूरी बातें
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बिप्‍लब: 15 साल बाद लौटे त्रिपुरा, जंग में जीती मुख्‍यमंत्री की कुर्सी, 5 जरूरी बातें

बिप्‍लब त्रिपुरा में पिछले दो साल से बीजेपी का सबसे प्रमुख चेहरा रहे.

बिप्‍लव ने त्रिपुरा में पहली बार बीजेपी दिलाई जीत (फाइल फोटो)

नई दिल्ली: त्रिपुरा में पहली बार बीजेपी को सत्‍ता दिलाने का श्रेय बिप्‍ल देब को दिया गया. बिप्‍लब त्रिपुरा में पिछले दो साल से बीजेपी का सबसे प्रमुख चेहरा हैं. 2014 में दिल्‍ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सत्‍ता में आने के बाद बीजेपी ने अपने आरएसएस कार्यकर्ता और जबर्दस्‍त संगठन क्षमता वाले बिप्‍लब को त्रिपुरा भेजा. उन्‍हें प्रदेश अध्‍यक्ष बनाया गया. इसी का परिणाम है कि बीजेपी को सत्‍ता मिली. बिप्‍लब देब के मुख्‍यमंत्री बनने तक के सफर पर एक नजर :

  1. त्रिपुरा में पहली बार बीजेपी को सत्‍ता दिलाने का श्रेय बिप्‍लव देब को दिया गया
  2. सात जनवरी, 2016 को बीजेपी के प्रदेश अध्‍यक्ष बने
  3. 15 साल बिप्‍लव त्रिपुरा से बाहर रहे

1. 48 वर्षीय बिप्‍लब कुमार देव त्रिपुरा के उदयपुर से ताल्‍लुक रखते हैं. बिप्‍लब देव की पत्‍नी एसबीआई में डिप्‍टी मैनेजर हैं और उनके एक पुत्र एवं पुत्री हैं. चुनावी हलफनामे में बिप्‍लव ने अपनी कुल संपत्ति 47 लाख रुपये घोषित की है.

2. त्रिपुरा यूनिवर्सिटी से 1999 में स्‍नातक की पढ़ाई पूरी कर दिल्‍ली गए और वहां मास्‍टर डिग्री ली. दिल्‍ली में आरएसएस के थिंकटैंक कहे जाने वाले नेता केएन गोविंदाचार्य के नेतृत्‍व में प्रशिक्षण प्राप्‍त किया.

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3. उस समय दिल्‍ली में आरएसएस का प्रशिक्षण ले रहे बिप्‍लब पर सुनील देवधर की नजर पड़ी. सुनील देवधर त्रिपुरा में बीजेपी के मौजूदा प्रभारी हैं. बिप्‍लब के प्रशिक्षण के समय वह त्रिपुरा में वामपंथी सरकार को हराने और बीजेपी सरकार बनाने की रणनीति पर काम कर रहे थे. बाद में जब बीजेपी ने उन्‍हें प्रभारी बनाया तो बिप्‍लव को राज्‍य के लोगों के सामने नए चेहरे के रूप में पेश किया गया.

4. त्रिपुरा से 15 साल बाहर रहने के बाद 2014 आम चुनावों में जब बीजेपी को सर्वाधिक छह प्रतिशत वोट मिले तो आरएसएस ने लोकल चेहरे के नाते उनको त्रिपुरा वापस भेजा. उससे पहले 15 साल वह त्रिपुरा से बाहर रहे. वहां त्रिपुरा ट्राइबल एरियाज ऑटोनोमस डिस्ट्रिक्‍ट कौंसिल चुनावों में बीजेपी की तरफ से प्रचार कर संगठन क्षमता का परिचय दिया. इससे पार्टी को जमीनी आधार मिला और ग्रामीण अंचलों में बीजेपी पहली बार लोकप्रिय हुई.

5. नतीजतन सात जनवरी, 2016 को बीजेपी के प्रदेश अध्‍यक्ष बने और इस बार पूरा चुनाव इन्‍हीं की अगुआई में लड़ा गया. बिप्‍लब ने इस बार अगरतला स्थित बनामालीपुर सीट से चुनाव लड़ा. उससे पहले सुधींद्र दासगुप्‍ता बीजेपी के प्रदेश अध्‍यक्ष थे. वह त्रिपुरा में सर्वाधिक लंबे समय तक बीजेपी के प्रदेश अध्‍यक्ष रहे लेकिन उस दौरान पार्टी सूबे की सियासत में कोई खास जगह नहीं बना पाई.

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