बंगाल में बढ़ते जनाधार के बाद अब बीजेपी की नजर तमिलनाडु पर है. तमिलनाडु में इसी साल विधानसभा चुनाव होने हैं जिसके लिए बीजेपी ने AIADMK के साथ मिलकर चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है. बीजेपी के इस फैसले के बाद अब सवाल उठ रहा है कि क्या तमिलनाडु में भी कमल खिलने वाला है.
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चेन्नई: तमिलनाडु (Tamilnadu) की सियासत में बीजेपी (BJP) ने एक बड़ा दांव खेला है. बीजेपी ने इसी साल होने वाले विधानसभा चुनाव (Assembly Election) के लिए AIADMK से हाथ मिला लिया है. बीजेपी के इस फैसले को तमिलनाडु की सियासत में काफी अहम माना जा रहा है.
मदुरै (Madurai) की एक चुनावी रैली में बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा (JP Nadda) ने मंच से ऐलान किया कि इस बार का विधानसभा चुनाव बीजेपी AIADMK और दूसरी समान सोच वाली ( Like Minded) पार्टियों के साथ मिलकर लड़ेगी. नड्डा ने कहा कि बीजेपी सरकार ने देश के सभी हिस्सों के साथ तमिलनाडु के विकास को सुनिश्चित किया है. कोविड प्रबंधन, कोरोना वैक्सीन, सीमा सुरक्षा के मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के नेतृत्व में सरकार ने अपनी प्रतिबद्धता दिखाई है. तमिलनाडु की सभी समस्याओं को दूर करने का वादा भी जेपी नड्डा ने किया है.
ऐसा नहीं है कि बीजेपी और AIADMK ने पहली बार हाथ मिलाया है. दोनों दलों का गठबंधन पिछले विधानसभा चुनावों में भी था जिसमें AIADMK की शानदार जीत हासिल हुई थी लेकिन चुनावों के बाद दोनों पार्टियों में कुछ मतभेद नजर आए. तत्कालीन सीएम जयललिता (Jayalalithaa) के निधन के बाद सूबे की सियासी तस्वीर ही बदल गई. AIADMK में गुटबाजी का दौर शुरू हुआ और इसी बीच पलानीस्वामी (Palanisamy) को सूबे की कमान सौंप दी गई.
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पिछले विधानसभा चुनावों में AIADMK ने इतिहास रच दिया था. आम तौर पर तमिलनाडु में हर बार की सत्ता बदलने की रिवायत रही है लेकिन पिछली बार जयललिता के नेतृत्व में AIADMK ने लगातार दूसरी बार सत्ता में वापसी की और 234 में से 136 सीटों पर जीत हासिल की. इन चुनावों में बीजेपी ने सभी 234 सीटों पर चुनाव लड़ा था लेकिन खाता नहीं खुला. DMK को 89 सीटों पर जीत हासिल हुई थी जबकि कांग्रेस को महज 8 सीटों पर सफलता मिली थी.
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