Mamata Banerjee news: ममता बनर्जी ने नीति आयोग की (NITI Aayog Meeting) 10वीं गवर्निंग काउंसिल की बैठक को छोड़ दिया. जिससे बाद पश्चिम बंगाल राज्य के विकास के अवसरों को गंवाने (West Bengal Politics) को लेकर बीजेपी और कांग्रेस दोनों ने पश्चिम बंगाल की सीएम की आलोचना की है.
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Mamata Banerjee Skipped NITI Aayog Meeting: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शनिवार को नई दिल्ली में नीति आयोग की महत्वपूर्ण बैठक में नहीं पहुंची. उनके इस अहम बैठक में न आने पर तृणमूल कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी के बीच राजनीतिक खींचतान शुरू हो गई है. पाकिस्तान के खिलाफ भारत के 'ऑपरेशन सिंदूर' के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की राज्यों के मुख्यमंत्रियों और केंद्र शासित प्रदेशों के लेफ्टिनेंट गवर्नरों के साथ यह पहली बड़ी बैठक थी, जिसका ममता बनर्जी से बॉयकाट किया तो बीजेपी, टीएमसी सुप्रीमो के ऊपर हमलावर हो गई है.
बीजेपी ने साधा निशाना
शनिवार की बैठक छोड़ने पर पश्चिम बंगाल से बीजेपी के राज्यसभा सदस्य और प्रवक्ता समिक भट्टाचार्य ने ममता बनर्जी को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि पिछले साल भी ममता बनर्जी ने नीति आयोग की बैठक से किनारा करते हुए पांच मिनट में चली गई थीं. इस बार तो आई ही नहीं. अगर आतीं तो उन्हें ये पता लग सकता था कि बंगाल में विकास की बाधाओं को कैसे दूर किया जा सकता है.'
पश्चिम बंगाल की आर्थिक स्थिति चिंताजनक स्तर पर
बीजेपी सांसद ने ये भी कहा, 'फिलहाल पश्चिम बंगाल की वित्तीय व्यवस्था यानी माली हालत ठीक नहीं है. ये चिंता का विषय है. बेरोजगारी और प्रवासी दो बड़ी समस्याएं हैं. इसलिए मुख्यमंत्री को बैठक में शामिल होना चाहिए था ताकि केंद्र सरकार के साथ मिलकर बंगाल के विकास के विकास का रास्ता निकलता, लेकिन ममता बनर्जी ने अपने सियासी अहंकार को संतुष्ट करने के लिए नीति आयोग की बैठक का बॉयकाट करके बंगाल के हितों की बलि दे दी.'
कांग्रेस ने भी साधा निशाना
वहीं कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा, 'अगर वो बैठक में शामिल होतीं तो कई मुद्दे उठा सकती थीं, राज्य के विकास के लिए जरूरी फंड की बात कर सकती थीं. पुराना तगादा मांग सकती थीं. नीति आयोग ने पहले ही कह दिया था कि गवर्निंग काउंसिल की बैठक में 2047 के लिए विकसित भारत के लिए विकसित राज्य के दृष्टिकोण पर चर्चा होगी. फिर भी बैठक में न जाना एक गलत कदम है.
टीएमसी का पलटवार
बीजेपी-कांग्रेस के एक साथ ममता बनर्जी के ऊपर हमलावर होने के बाद टीएमसी के उपाध्यक्ष जय प्रकाश मजूमदार ने कहा, 'पिछले साल ही यह साफ हो गया था कि केंद्र सरकार हमारी मुख्यमंत्री जो कहना चाहती थी, उसे सुनने की इच्छा नहीं रखती थी और इसलिए उनके भाषण के बीच में उनका माइक्रोफोन बंद कर दिया गया था. यह मुख्यमंत्री का अपमान था. वह फिर से अपमानित होने के लिए बैठक में क्यों शामिल होंगी?'
पिछले साल 27 जुलाई को नीति आयोग की पिछली बैठक में, ममता बनर्जी ये आरोप लगाते हुए बाहर निकल गई थीं कि उनका माइक्रोफोन म्यूट कर दिया गया, क्योंकि वह पांच मिनट से अधिक नहीं बोल सकतीं थीं. जबकि बैठक में उनसे पहले बोलने वाले वक्ताओं को 10 से 20 मिनट का समय दिया गया था. हालांकि, केंद्र सरकार ने आरोपों को खारिज किया था.