तृणमूल कांग्रेस से बीजेपी में आए सब्यसाची दत्ता के बदले सुर, बताया पार्टी क्‍यों हार गई बंगाल चुनाव
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तृणमूल कांग्रेस से बीजेपी में आए सब्यसाची दत्ता के बदले सुर, बताया पार्टी क्‍यों हार गई बंगाल चुनाव

 बीजेपी नेता सब्यसाची दत्त ने कहा कि मुख्यमंत्री पद के लिए कोई बंगाली चेहता नहीं होने के कारण बीजेपी विधान सभा चुनाव हार गई. बंगाल में बीजेपी के लिए भाषा एक बड़ी समस्या बन गई. 

फाइल फोटो.

कोलकाता: पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव से पहले ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) की पार्टी तृणमूल कांग्रेस (TMC) का हाथ छोड़ बीजेपी का दामन थामने वाले कद्दावर नेता सब्यसाची दत्त के तेवर अब कुछ बदल से गए हैं. उन्होंने साफ शब्दों में बंगाल में बीजेपी की हार का कारण बताया है. उन्होंने कहा, 'इस चुनाव में मुख्यमंत्री पद के लिए बीजेपी का कोई भी बंगाली चेहरा नहीं था. पीएम नरेंद्र मोदी, अमित शाह या फिर जेपी नड्डा इनमें से कोई भी मुख्यमंत्री नहीं होगा यह तो सभी को पता था. 

उन्होंने आगे कहा, 'मुख्यमंत्री पद के लिए कोई बंगाली चेहता नहीं होने के कारण बीजेपी विधान सभा चुनाव हार गई. बंगाल में बीजेपी के लिए भाषा एक बड़ी समस्या बन गई. हिंदी भाषी लोगों ने आकर प्रचार किया जिसके चलते जनता उनकी बात समझ नहीं पाई.' सब्यसाची दत्त के बयान के बाद कयास लगाए जा रहे हैं कि उनकी 'घर वापसी' हो सकती है. 

नेताओं की घर वापसी पर फैसला ममता के हाथ

इधर, तृणमूल कांग्रेस नेतृत्व ने पार्टी के पूर्व नेताओं की घर वापसी पर अभी कोई फैसला नहीं किया है जो हाल ही में हुए विधान सभा चुनावों से पहले भाजपा में चले गए थे. TMC के शीर्ष सूत्रों ने बताया कि मुख्यमंत्री और पार्टी अध्यक्ष ममता बनर्जी भाजपा में चले गए तृणमूल के लोगों की वापसी पर फैसला लेंगी.

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राजनीतिक जानकारों का मानना है कि पार्टी बहुत चुनिंदा नेताओं की वापसी करेगी ताकि 2024 के लोक सभा चुनाव से पहले पार्टी कार्यकर्ताओं को संदेश दिया जा सके कि बगावत बर्दाश्त नहीं की जाएगी. तृणमूल के एक नेता ने नाम जाहिर न करने की शर्त पर कहा, ‘इस मुद्दे पर शीर्ष नेतृत्व ही अंतिम फैसला ले सकता है.’ उन्होंने कहा, ‘इस समय हम कोविड-19 महामारी से जूझ रहे हैं और चक्रवात यास के बाद राहत कार्यों का बंदोबस्त कर रहे हैं.’

भावुक हुईं सोनाली गुहा

तृणमूल कांग्रेस के नेता दीपेंदु बिस्वास और सोनाली गुहा समेत अनेक पूर्व विधायक पिछले कुछ दिनों में पत्र लिखकर भाजपा में शामिल होने के लिए खेद जता चुके हैं. उन्होंने तृणमूल कांग्रेस में वापसी की इच्छा जाहिर की है. एक समय बनर्जी की करीबी रहीं सोनाली ने मुख्यमंत्री से माफी की मांग करते हुए कैमरे पर भावुक अपील की. दक्षिण 24 परगना के सतगचिया से चार बार विधायक रहीं सोनाली ने एक पत्र में लिखा कि जिस तरह पानी के बाहर मछली नहीं रह सकती, उसी तरह दीदी, ‘मैं आपके बिना नहीं रह पाऊंगी.’

मुकुल रॉय की होगी TMC में वापसी? 

अटकलें तो तृणमूल कांग्रेस के संस्थापकों में शामिल रहे मुकुल रॉय की भी संभावित घर वापसी को लेकर चल रही हैं जो भाजपा के राज्य सभा सदस्य हैं. हाल ही में ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक ने शहर के एक अस्पताल में जाकर रॉय की पत्नी का हालचाल जाना और उनके बेटे से बात की. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी रॉय को फोन कर उनकी पत्नी की सेहत के बारे में पूछा.

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रॉय तृणमूल कांग्रेस में वापसी की अटकलों को अपनी तरफ से खारिज करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन अटकलों का बाजार अब भी गर्म है क्योंकि बनर्जी ने कहा था कि रॉय का बर्ताव इतना बुरा नहीं है. मुख्यमंत्री बनर्जी ने चुनाव प्रचार के दौरान बागी नेताओं को मीर जाफर की संज्ञा दी थी. 

भाजपा को कमजोर करना चाहती है TMC

कलकत्ता रिसर्च ग्रुप के सदस्य और जानेमाने राजनीतिक विश्लेषक रजत रॉय ने कहा कि इसका मकसद सांगठनिक रूप से भाजपा को कमजोर करना होगा लेकिन उसी समय वह सभी नेताओं की घर वापसी नहीं कराएगी ताकि बगावत करने वालों के साथ सख्ती का संदेश भी जाए.

विश्लेषकों की मानें तो तृणमूल कांग्रेस इस लिहाज से कांग्रेस और वाम मोर्चा की मिलीजुली रणनीति को अपनाएगी. कांग्रेस जहां अतीत में अपने असंतुष्ट नेताओं को अक्सर वापस लेती रही है, वहीं वाम दलों की सामान्यत: ‘असंतुष्टों तथा बागियों’ को वापस नहीं लेने की नीति रही है.

(इनपुट भाषा से भी)

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