Assam Panchayat Poll Results: असम पंचायत चुनावों में कई सीटों पर चुनावी मुकाबला बेहद रोचक देखने को मिल रहा है. दो सीटों पर तो टॉस से जीत-हार का फैसला हुआ है.
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Assam Panchayat Polls: हालिया दिनों में जब एक तरफ भारत-पाकिस्तान के बीच तनातनी जोरों पर थी उसी दौरान दो और सात मई को असम में पंचायत निकाय चुनाव हुए. बैलट पत्रों से हुए चुनावों की काउंटिंग जारी है. मौजूदा रुझानों के मुताबिक बीजेपी अपने सहयोगी असम गण परिषद के साथ प्रचंड जीत की तरफ बढ़ती दिख रही है. राज्य निर्वाचन आयोग के आंकड़ों के अनुसार बीजेपी ने आंचलिक पंचायत निर्वाचन क्षेत्रों की 2,192 सीटों के लिए हुए चुनावों में अब तक 242 सीटों पर जीत हासिल की है. सहयोगी असम गण परिषद को अब तक 30 सीट मिली है. विपक्षी कांग्रेस ने अब तक 34 सीटों पर जीत हासिल की है. 14 सीटों पर निर्दलीय आगे चल रहे हैं और एक सीट एआईयूडीएफ को मिली है.
इसी तरह जिला परिषद की 397 सीटों के लिए हुए चुनाव में बीजेपी ने 26 सीटें और अगप ने तीन सीटें जीती हैं. किसी अन्य पार्टी का अभी तक खाता नहीं खुला है.
ग्राम पंचायत की 21,920 सीटों पर चुनाव कराए गए. इसके भी हजारों सीटों के परिणाम घोषित कर दिए गए हैं लेकिन ग्राम पंचायत चुनाव पार्टी टिकट पर नहीं होते. सबको निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में लड़ना पड़ता है.
सिक्का उछालकर हार-जीत का निर्धारण
इसके साथ ही असम पंचायत चुनावों में कई सीटों पर चुनावी मुकाबला बेहद रोचक देखने को मिल रहा है. दो सीटों पर तो टॉस से जीत-हार का फैसला हुआ है. दो महिला प्रत्याशियों पूरबी राजखोआ, नलिन लेखाथोपी का चुनावी फैसला इसी तरह हुआ. नलिन, गोलाघाट जिले की वार्ड नंबर 6 की प्रत्याशी थीं. करीब 500 वोट वाले उस वार्ड में चार प्रत्याशी मैदान में थे. नलिन और उनकी निकटतम प्रतिद्वंद्वी को एक समान 130-130 वोट मिले. वहां मौजूद चुनावी अधिकारी भी इस इत्तेफाक से हैरान रह गए. काफी देर तक उनको कुछ समझ नहीं आया कि ऐसी सूरत में नियम क्या कहता है? लिहाजा उच्च अधिकारियों से संपर्क किया गया. कुछ घंटे बाद दोनों प्रत्याशियों को बुलाया गया और कहा गया कि टॉस से आपके चुनावी भाग्य का फैसला किया जाएगा. नलिन ने टॉस जीत लिया और इस तरह उनको चुनावी जीत मिली.
कुछ ऐसा ही नजारा नागांव के वार्ड नंबर 7 में देखने को मिला जहां पुरबी और उनकी निकटतम प्रतिद्वंद्वी को 618-618 वोट मिले. पुरबी के पक्ष में चुनावी भाग्य का फैसला भी सिक्का उछालकर ही हुआ.
दरअसल पंचायत चुनावों में इस तरह का चुनावी प्रावधान है कि यदि दोनों प्रत्याशियों को एकसमान वोट मिलते हैं तो उनके भाग्य का निर्धारण सिक्का उछालकर ही किया जाता है. मौजूदा दोनों केसों में जमीनी स्तर पर तैनात चुनावी कर्मचारियों को इस नियम की जानकारी नहीं थी. लिहाजा कुछ घंटे उहापोह की स्थिति रही. बाद में सीनियर अफसरों के निर्देशों के अनुसार चुनावी फैसला किया गया.