'मौलाना के बहकावे में न आएं...', जनगणना पर मुसलमानों से क्या अपील कर रही भाजपा?
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'मौलाना के बहकावे में न आएं...', जनगणना पर मुसलमानों से क्या अपील कर रही भाजपा?

Caste Census 2027: जाति गणना को लेकर भाजपा के अल्पसंख्यक मोर्चा की ओर से पसमांदा मुस्लिम समुदाय कते लोगों से आग्रह किया गया है कि वे अपनी जाति की सही जानकारी दें.  

 'मौलाना के बहकावे में न आएं...', जनगणना पर मुसलमानों से क्या अपील कर रही भाजपा?

National Census 2027: सरकार की ओर से भारत की 16वीं जनगणना को लेकर औपचारिक घोषणा कर दी गई है. देश के अधिकतर हिस्सों में 1 मार्च 2027 से जनगणना होगी. वहीं अब इसको लेकर भाजपा के अल्पसंख्यक मोर्चा ने पसमांदा मुस्लिम समुदाय से अपनी सही जानकारी देने का आग्रह किया है. अल्पसंख्यक मोर्चा का कहना है कि जाति गणना का पसमांदा मुस्लिम समुदाय पर अधिक असर पड़ेगा. 

'अपनी जाति की सही जानकारी दें...'
अल्पसंख्यक मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जमाल सिद्दिकी ने आग्रह किया है कि मुस्लिम समुदाय के लोग जनगणना का फॉर्म भरते समय अपनी जाति की सही जानकारी दें और कट्टरपंथी मौलानाओं के बहकावे में बिल्कुल न आएं. उन्होंने कहा कि अबतक मुसलमानों को केवल एक धार्मिक समूह के रूप में ही दर्ज किया जाता रहा है. इसके चलते समुदाय के अंदर की सामाजिक और आर्थिक विविधताओं पर कोई स्पष्ट जानकारी मौजूद नहीं  थी, लेकिन अब पहली बार ऐसा होगा जब मुस्लिम समुदाय के अंदर मौजूद सभी जातियों की भी विस्तृत गिनती की जाएगी. इससे मुस्लिम समुदाय की जातियों की आर्थिक, सामाजिक और शैक्षणिक स्थिति से जुड़े ठोस आंकड़े सामने आएंगे. यह पॉलिसी मेकिंग और सोशल जस्टिस का मुख्य आधार बन सकते हैं.   

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मुसलमानों को गुमराह कर रहे मौलाना 
अल्पसंख्यक मोर्चा अध्यक्ष ने कहा कि कट्टरपंथी मौलाना मुस्लिम लोगों को गुमराह करने के लिए उनसे आग्रह कर रहे हैं कि वे जातिगत जनगणना के दौरान इस्लाम को ही अपनी जाति बताएं. इसको लेकर सिद्दकी ने कहा कि यह धार्मिक जनगणना नहीं बल्कि जातिगत जनगणना है और जाति संस्कृति का हिस्सा है न कि धर्म का. उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति में अलग-अलग जातियां होती हैं. जिसके द्वारा मुस्लिम समुदाय के अंदर भी जातिगत विविधताओं को सामने लाया जाएगा तो इससे एकरूपता की धारणा टूटेगी.   

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पसमांदा मुस्लिम समुदाय पर पड़ेगा असर 
सिद्दिकी  ने कहा कि पसमांदा मुस्लिम समुदाय पर इस पहल का सबसे पड़ा असर पड़ सकता है. उन्होंने कहा कि मुस्लिम समाज में मौजूदा समय में 85 प्रतिशत आबादी पसमांदा मुसलमानों की है, ये समुदाय काफी पिछड़ा हुआ है. इन्हें राजनीतिक और सामाजिक क्षेत्र में प्रतिनिधित्व नहीं मिलता है. उनको लेकर कोई ठोस आंकड़े न होने के कारण उनकी आवाज को अनसुना कर दिया जाता है. अध्यक्ष ने कहा किमुसलमानों का प्रतिनिधित्व करने का दावा करने वाले ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल बोर्ड में खुद पसमांदा मुसलमान समुदाय का एक भी सदस्य नहीं है.     

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