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नई दिल्ली : बीजेपी सांसद साक्षी महाराज के एक और विवादित बयान से राजनीतिक पारा चढ़ गया है। साक्षी महाराज ने अपने एक बयान में कहा है कि नाथूराम गोडसे राष्ट्रभक्त थे। उन्होंने कहा कि गोडसे राष्ट्रभक्त था और गांधी जी ने भी राष्ट्र के लिए बहुत कुछ किया। महात्मा गांधी की तहर ही गोडसे भी राष्ट्रभक्त थे। हालांकि अपने इस बयान के महज कुछ घंटों के भीतर ही उन्होंने यू टर्न ले लिया। सांसद ने अपने बयान से पलटते हुए कहा कि गोडसे देशभक्त नहीं था। उधर, राज्यसभा में आज कांग्रेस के सदस्यों ने महात्मा गांधी की हत्या के दोषी नाथूराम गोडसे को महाराष्ट्र में एक समारोह के दौरान महिमामंडित किये जाने का भारी विरोध किया तथा इस मुद्दे पर हुए हंगामे के कारण सदन की बैठक को दो बार स्थगित करनी पड़ी।
इससे पहले एक रिपोर्ट के अनुसार, उन्नाव से बीजेपी सांसद साक्षी महाराज ने कहा कि मुझे लगता है कि नाथूराम गोडसे के दिल में भी राष्ट्रभक्ति का जज्बा था। गोडसे के उस वक्त के बयान से लगता है कि वो किसी बात से दुखी था इसलिए उसने गांधी जी की हत्या की थी। उसके दिल में भी देश के लिए दर्द था।
उन्होंने कहा कि जब मुझसे पूछा गया कि कुछ लोग गोडसे का जन्मदिन मना रहे हैं। हिंदुस्तान इतना बड़ा देश है जहां लोग पत्थर को पूजते हैं रावण को पूजते हैं, राम का पुतला जलाते हैं। अब कोई गोडसे को पूज रहा है तो इसमें हम क्या करेंगे। हमारे झारखंड में रावण को पूजा जाता है इसमें हम क्या कर सकते हैं। कोई गोडसे की पूजा करता है तो इसमें मुझे कोई आपत्ति नही है। हिंदुस्तान में कोई भी किसी की पूजा कर सकता है।
साक्षी महाराज ने यह भी कहा कि मैं कोई गोडसे को महिमामंडित करने के लिए नहीं बैठा हूं। मैं राष्ट्रभक्त हूं मेरा नाथूराम गोडसे से कोई लेना देना नहीं है। जो सारे देश के लिए है गोडसे है वो ही मेरे लिए है।
दरअसल महाराष्ट्र में गोडसे के नाम पर एक संगठन द्वारा शौर्य दिवस मनाए जाने का आज विपक्ष ने राज्यसभा में कड़ा विरोध किया। जिसके बाद साक्षी महाराज का ये बयान सामने आया है। जाहिर है विपक्ष को केंद्र सरकार को घेरने का एक और मौका मिल गया है।
उधर, राज्यसभा में बुधवार को कांग्रेस के सदस्यों ने महात्मा गांधी की हत्या के दोषी नाथूराम गोडसे को महाराष्ट्र में एक समारोह के दौरान महिमामंडित किये जाने का भारी विरोध किया तथा इस मुद्दे पर हुए हंगामे के कारण सदन की बैठक को दो बार स्थगित करनी पड़ी। संसदीय कार्यमंत्री वेंकैया नायडू ने इस मामले पर सरकार का पक्ष रखते हुए कहा कि इस तरह के किसी शख्स के महिमामंडन का सवाल ही नहीं उठता। हालांकि उन्होंने इस मामले में किसी विशिष्ट संगठन को बदनाम करने के प्रयासों को खारिज किया।
गौरतलब है कि कांग्रेसी सदस्यों ने यह मुद्दा उठाते समय गोडसे को महिमामंडित करने संबंधित समारोह के आयोजन के पीछे एक विशिष्ट संगठन का नाम लिया था लेकिन उपसभापति पीजे कुरियन ने इस संगठन का नाम सदन की कार्यवाही से निकाल दिया। शून्यकाल में इस मुद्दे को उठाते हुए कांग्रेस के हुसैन दलवई ने कहा कि उन्होंने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री को इस तरह के आयोजन के बारे में पत्र लिखा है जिसमें कुछ धार्मिक नेताओं और पूर्व विधायकों ने शिरकत की थी। उन्होंने दक्षिणपंथी संगठनों पर धमा’तरण समेत इस तरह की समाज को बांटने वाली गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगाते हुए कहा कि महाराष्ट्र में शौर्य दिवस मनाकर महात्मा गांधी के हत्यारे को महिमामंडित किया जा रहा है। ये लोग विकास की बात करते हैं लेकिन समाज में दरार पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं।