'...तब तो संसद बंद कर देनी चाहिए', धनखड़ के बाद फूटा इस BJP नेता का गुस्सा, सुप्रीम कोर्ट पर कही ये बात
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'...तब तो संसद बंद कर देनी चाहिए', धनखड़ के बाद फूटा इस BJP नेता का गुस्सा, सुप्रीम कोर्ट पर कही ये बात

Supreme Court: बीते दिन सुप्रीम कोर्ट को लेकर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने टिप्पणी की थी. जिसके बाद अब बीजेपी नेता ने भी सुप्रीम कोर्ट को लेकर टिप्पणी की है. उनकी टिप्पणी उस समय आई है जब सुप्रीम कोर्ट में वक्फ कानून की सुनवाई चल रही है. 

'...तब तो संसद बंद कर देनी चाहिए', धनखड़ के बाद फूटा इस BJP नेता का गुस्सा, सुप्रीम कोर्ट पर कही ये बात

Supreme Court: बीते दिन सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रपति को विधेयकों पर निर्णय लेने की समय सीमा रखी थी. जिस पर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने टिप्पणी की थी. अब एक भाजपा नेता ने भी सवाल खड़ा किया है. उन्होंने एक पोस्ट करते हुए लिखा कि अगर कानून अगर सुप्रीम कोर्ट ही बनाएगा तो संसद भवन बंद कर देना चाहिए. बता दें उन्होंने ये टिप्पणी उस समय की है जब वक्फ कानून को लेकर देशभर में बहस छिड़ी है. 

चल रहा है प्रदर्शन
पूरे भारत के कई हिस्सों में वक्फ कानून को लेकर प्रदर्शन हो रहा है, बंगाल के मुर्शिदाबाद में इसे लेकर हिंसा हुई जिसमें दो लोगों की जान चली गई. जबकि जुमे की नमाज के बाद मंगलुरु के अद्यार कन्नूर मैदान में एक लाख मुसलमानों को बुलाया गया था.इस प्रोटेस्ट के स्पॉन्सर और डायरेक्टर काजी थे. काजी और मुस्लिम धर्मगुरु समेत 25 से ज्यादा लोग मंच पर मौजूद थे. जबकि 2 हजार लोग तो सिर्फ वॉलंटियर्स थे. इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है. अगली सुनवाई 5 मई को होनी है. 

 

उपराष्ट्रपति ने की थी टिप्पणी
हाल में ही उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने राष्ट्रपति को उनके पास भेजे गए विधेयकों पर निर्णय लेने के लिए समयसीमा निर्धारित करने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर टिप्पणी की थी. हम ऐसी स्थिति नहीं बना सकते जहां आप भारत के राष्ट्रपति को निर्देश दें और किस आधार पर? इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट से सवाल किया कि हम कहां जा रहे हैं? देश में क्या हो रहा है? हमें बेहद संवेदनशील होना होगा. यह कोई समीक्षा दायर करने या न करने का सवाल नहीं है. हमने इस दिन के लिए लोकतंत्र से कभी समझौता नहीं किया था.

कानून नहीं होगा लागू
इसके अलावा कहा था कि राष्ट्रपति को समयबद्ध तरीके से फैसला करने के लिए कहा जाता है और यदि ऐसा नहीं होता है, तो यह कानून बन जाता है. इसलिए हमारे पास ऐसे न्यायाधीश हैं जो कानून बनाएंगे, जो कार्यकारी कार्य करेंगे, जो सुपर संसद के रूप में कार्य करेंगे और उनकी कोई जवाबदेही नहीं होगी क्योंकि देश का कानून उन पर लागू नहीं होता है. 

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