'पिछले जन्म में शिवाजी महाराज थे PM मोदी..', BJP सांसद का विवादित बयान, भड़की जनता ने लगाई क्लास
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'पिछले जन्म में शिवाजी महाराज थे PM मोदी..', BJP सांसद का विवादित बयान, भड़की जनता ने लगाई क्लास

Chhatrapati Shivaji Maharaj: बारगढ़ से भाजपा सांसद प्रदीप पुरोहित ने अपने एक संबोधन में पीएम मोदी को छत्रपति शिवाजी महाराज बता दिया. उन्होंने कहा कि पीएम मोदी पिछले जन्म में मराठा सम्राट छत्रपति शिवाजी महाराज थे.   

'पिछले जन्म में शिवाजी महाराज थे PM मोदी..', BJP सांसद का विवादित बयान, भड़की जनता ने लगाई क्लास

PM Modi: छत्रपति शिवाजी महाराज और मुगल शासक औरंगजेब को लेकर इन दिनों खूब सियासत की जा रही है. वहीं अब इसपर एक नय विवाद सामने आया है. दरअसल ओडिशा के बारगढ़ से भाजपा सांसद प्रदीप पुरोहित ने बजट सत्र में अपने संबोधन के दौरान दावा किया की पीएम मोदी पिछले जन्म में मराठा सम्राट छत्रपति शिवाजी महाराज थे. सांसद के इस बयान ने बड़ा विवाद खड़ा कर दिया है. 

'पिछले जन्म में शिवाजी महाराज थे मोदी...'
सांसद ने यह विवादित बयान देते हुए एक संत से हुई मुलाकात का जिक्र किया. उन्होंने कहा कि एक संत ने कथित तौर पर उनसे कहा था कि पीएम मोदी अपने पिछले जन्म में छत्रपति शिवाजी महाराज थे. सांसद ने आगे कहा कि पीएम मोदी वास्तव में छत्रपति शिवाजी महाराज हैं, जिन्होंने महाराष्ट्र समेत पूरे देश को विकास और प्रगति की तरफ ले जाने के लिए पुनर्जन्म लिया है.  

बयान ने भड़काया विवाद 
भाजपा सांसद के इस बयान ने विवादों की आग पकड़ ली है. कांग्रेस और कुछ इंटरनेट यूजर्स सांसद के इस बयान की निंदा कर रहे हैं. उन्होंने बयान की आलोचना करते हुए इसे शिवाजी महाराज, उनकी विरासत और महानता का अपमान बताया. कई लोगों ने इसको लेकर सोशल मीडिया पर नाराजगी भी जाहिर की. कुछ लोगों ने तो सांसद से इसके लिए माफी मांगने के लिए भी कहा है. 

भड़के नेटिजेंस 
कांग्रेस नेता वर्षा गायकवाड़ ने सांसद के इस बयान की आलोचना करते हुए कहा,' इन लोगों ने छत्रपति शिवाजी महाराज का सम्माननीय मुकुट नरेंद्र मोदी के सिर पर रखकर शिवाजी महाराज का घोर अपमान किया है और अब इस BJP सांसद का यह घिनौना बयान सुनिए...' 

एक इंटरनेट यूजर ने लिखा,' BJP सांसद प्रदीप पुरोहित के मुताबिक नरेंद्र मोदी पिछले जन्म में छत्रपति शिवाजी महाराज थे. क्या ये शिवाजी महाराज का अपमान नहीं?'     

यूजर ने लिखा,' शिवाजी महाराज स्वराज्य के संस्थापक थे, न कि किसी पार्टी के प्रतीक. उनके शौर्य, बलिदान और विचारधारा को राजनीति से जोड़ना क्या उनकी महानता को सीमित करना नहीं?' 

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