Tamil Nadu Politics: बिहार विधानसभा चुनाव के बीच भारतीय जनता पार्टी को तमिलनाडु की चिंता सताने लगी है, क्योंकि अगले साल यहां विधानसभा चुनाव होने हैं उससे पहले भाजपा को यह एक मजबूत एलायंस की जरूरत होगी.
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Tamil Nadu Election 2026: एक तरफ भारतीय जनता पार्टी जहां बिहार चुनाव में जीत के लिए जिद्दोजहद कर रही है, वहीं अगले साल होने वाले तमिलनाडु विधानसभा चुनाव से ही यहां की चिंता सताने लगी है. हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि भाजपा को यहां नए राजनीतिक समीकरण बनाने की कोशिशें कर दी हैं. भाजपा चाहती है कि NDA को यहां मजबूत किया जाए ताकि विधानसभा चुनाव में किसी भी तरह की दिक्कत ना हो. इसके लिए भाजपा छोटे दलों को एक साथ जोड़ने की कोशिश कर रही है.
भाजपा के चुनाव प्रभारी जय पांडा और सह प्रभारी मुरलीधर मोहोल हाल ही में तमिलनाडु पहुंचे और वहां पार्टी नेताओं व एआईएडीएमके (AIADMK) के नेताओं के साथ लंबी रणनीतिक बैठकें कीं. दावा यह भी किया जा रहा है कि भाजपा चाहती है कि राज्य में जो एंटी-डीएमके (DMK विरोधी) लहर है, उसे एनडीए के पक्ष में मोड़ा जाए. इसके लिए पार्टी छोटे दलों से गठबंधन की संभावनाएं तलाश रही है.
कुछ रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि भाजपा के अंदरूनी आंकलन बताते हैं कि अभिनेता थलपति विजय की पार्टी ‘टीवीके’ (TVK) का फिलहाल करीब 20% वोट शेयर है, जिसमें से लगभग 60% वोट एनडीए के खिलाफ हैं. इसी वजह से भाजपा अब विजय की बढ़ती लोकप्रियता का तोड़ निकालने की रणनीति बना रही है. इधर एनडीए की एक प्रमुख सहयोगी पार्टी पीएमके (PMK) में अंदरूनी मतभेद सामने आए हैं. सूत्रों के मुताबिक सीनियर नेता एस रामदोस एनडीए में बने रहना चाहते हैं, जबकि उनके बेटे ए रामदोस न्यूट्रल रहने या टीवीके से हाथ मिलाने पर विचार कर रहे हैं.
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राजनीतिक जानकारों का मानना है कि नवंबर में तमिलनाडु की राजनीति में बड़ा फेरबदल हो सकता है. एआईएडीएमके के तीन गुट- ओ पन्नीरसेल्वम (OPS), वीके शशिकला और टीटीवी दिनाकरन अपने अगले कदम पर बड़ा फैसला ले सकते हैं. दूसरी तरफ भाजपा की रणनीति साफ है, डीएमके विरोधी वोटों को बिखरने से रोकना और सभी छोटे दलों को एनडीए के तहत एकजुट करना. हालांकि इस गठबंधन में निकाले गए एआईएडीएमके नेताओं को वापस शामिल करने को लेकर मतभेद बने हुए हैं.
दिल्ली में हाल ही हुई बैठक में ई पलानीस्वामी (EPS) ने गृहमंत्री अमित शाह से कहा कि अगर निकाले गए नेताओं को वापस लाया गया तो गठबंधन की एकजुटता पर असर पड़ सकता है. अगले महीने से भाजपा और एआईएडीएमके मिलकर डीएमके सरकार के खिलाफ संयुक्त अभियान शुरू करने वाली हैं, जिसमें जनता की समस्याओं और राज्य के मुद्दों को उठाया जाएगा.
बीजेपी को भरोसा है कि छोटे दलों को साथ लाने से न सिर्फ वोटों का बिखराव रुकेगा बल्कि एनडीए की राजनीतिक ताकत भी बढ़ेगी. हालांकि सबसे बड़ी चुनौती यही है कि एआईएडीएमके नेतृत्व को इस विस्तार योजना के लिए राजी किया जाए.