नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के विधान सभा चुनाव (UP Assembly Elections 2022) बेहद नजदीक हैं. सभी राजनीतिक दलों को ब्राह्मण वोट बैंक (Brahmin Vote Bank) की चिंता सता रही है. यूपी (UP) के सियासी गलियारों में बीजेपी (BJP) से ब्राह्मणों के तथाकथित नाराजगी की चर्चा तेज रहती है. यही वजह है कि बीजेपी अपने परंपरागत वोट बैंक यानि ब्राह्मण वोट बैंक को साथ बनाए रखने की रणनीति तैयार कर रही है. 


बीजेपी ने बनाया पैनल


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26 दिसंबर को दिल्ली में बीजेपी के चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान के घर पर यूपी बीजेपी के ब्राह्मण नेताओं की बैठक हुई. इसमें उत्तर प्रदेश से 28 ब्राह्मण नेता मौजूद थे. धर्मेंद्र प्रधान के साथ यूपी बीजेपी के संगठन महामंत्री सुनील बंसल भी इस बैठक के हिस्सा थे. दिल्ली में यह बैठक लगभग तीन घंटे चली थी. इस महत्वपूर्ण बैठक में यूपी के डिप्टी सीएम डॉ दिनेश शर्मा, सांसद डॉ महेश शर्मा, यूपी सरकार के मंत्री श्रीकांत शर्मा, बृजेश पाठक, सतीश द्विवेदी, आनंद शुक्ला, सांसद रमापति राम त्रिपाठी, सांसद शिवप्रताप शुक्ल, अजय मिश्र टेनी समेत करीब 28 ब्राह्मण चेहरे चुनावी रणनीति को धार देने में जुटे थे. 


इस रणनीति पर फोकस


सूत्रों ने बताया कि इस बैठक में 12% ब्राह्मण वोट बैंक को बीजेपी के साथ जोड़े रखने के लिए सुझाव मांगे गए. इसके अलावा ये भी तय हुआ कि पार्टी के प्रमुख नेता ब्राह्मण समाज के बीच जाएं और वहां पर केंद्र-राज्य सरकार की सभी योजनाओं की जानकारी दें. उन्हें यह भी बताया जाए कि कैसे बीजेपी की सरकार में काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का निर्माण कार्य पूरा हुआ. राम मंदिर का निर्माण कार्य चल रहा है और देश के सभी सांस्कृतिक और आध्यात्मिक एजेंडे को भी बीजेपी आगे रख रही है. यही नहीं सपा और बसपा सरकार में सवर्ण समाज के साथ कैसे भेदभाव होता था, यह भी ब्राह्मण समाज के बीच बताया जाए. 


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'BJP ने ब्राह्मण समाज को दिया सर्वाधिक प्रतिनिधित्व'


इस बैठक में इस बात पर भी चर्चा हुई कि विप्र समाज को यह भी बताया जाए कि बीजेपी ने यूपी और केंद्र सरकार में भी ब्राह्मण समाज को अन्य राजनीतिक दलों के मुकाबले सबसे ज्यादा प्रतिनिधित्व दिया है. यूपी में योगी सरकार की बात करें तो सीएम योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) के मंत्रिमंडल में 10 ब्राह्मण चेहरे शामिल हैं. 


यूपी में बीजेपी के विधानसभा चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान के घर पर हुई बैठक में सभी ब्राह्मण नेताओं से चुनावी सुझाव मांगे गए और एक एक कर सभी की बातों को सुना गया. 


आलाकमान तक पहुंचा इनपुट


26 दिसंबर को हुई इस बैठक के बाद यूपी बीजेपी के ब्राह्मण नेताओं ने 27 दिसंबर को बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से भी मुलाक़ात की. इस मुलाक़ात में बीजेपी के सांसद शिवप्रताप शुक्ला, बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा को भगवान परशुराम की तस्वीर भेंट करते नज़र आ रहे हैं. तो वहीं यूपी सरकार के कैबिनेट मंत्री बृजेश पाठक कोई पत्र देते हुए दिखाई दे रहे हैं. 


यूपी में लगभग 55 से ज्यादा बीजेपी विधायक ब्राह्मण समाज से हैं. इस बार के चुनाव में ब्राह्मण चेहरों को टिकट देने की संख्या भी बीजेपी बढ़ा सकती है. कुल मिलाकर यह कह जा सकता है कि बीजेपी अपने परंपरागत वोट बैंक को लेकर कोई भी ख़तरा मोल लेने को तैयार नहीं है. क्योंकि विपक्षी दल ब्राह्मण वोट बैंक को अपनी तरफ़ खींचने में पूरी ताक़त लगा रहे हैं.


समाजवादी पार्टी की तैयारी


इसी तरह यूपी में 12% ब्राह्मण वोट बैंक की लड़ाई को लेकर यूपी चुनाव से पहले समाजवादी पार्टी (SP) ने भी ब्राह्मण मतदाताओं को लुभाने की कोशिश के तहत भगवान परशुराम का मंदिर बनवाया है. आने वाले नए साल की दो तारीख को सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव भगवान परशुराम मंदिर में दर्शन और पूजा करेंगे.


OBC+Brahmin पॉलिटिक्स को धार देती सपा 


कानपुर में विकास दुबे के एनकाउंटर के बाद से उत्तर प्रदेश की सियासत में ब्राह्मण वोट बैंक को लेकर राजनीति तेज हो चुकी है. यूपी में सपा, बसपा और बीजेपी तीनों राजनीतिक दल इस वोट बैंक को लुभाने की पूरी कोशिश कर रहे हैं. 



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हाल ही में अखिलेश यादव ने पूर्वांचल के बड़े ताकतवर ब्राह्मण परिवार को सपा के साथ जोड़ा. गोरखपुर के हरिशंकर तिवारी का पूरा परिवार सपा में शामिल हो चुका है. 12 दिसंबर को हरिशंकर तिवारी के बेटे विनय शंकर तिवारी सपा में शामिल हुए, जो कि गोरखपुर की चिल्लूपार सीट से विधायक हैं. विनय शंकर तिवारी के साथ उनके भाई कुशल तिवारी और गणेश शंकर पाण्डेय भी सपा में शामिल हुए. बीजेपी विधायक जय चौबे भी 12 दिसंबर को सपा के साथ गए. 


2022 में किधर जाएंगे ब्राह्मण मतदाता?


बीजेपी हो या बीएसपी या फिर समाजवादी पार्टी सभी ब्राह्मण मतदाताओं पर फोकस बढ़ा रही हैं. बहुजन समाज पार्टी तो सतीश चंद्र मिश्र के नेृतत्व में  ब्राह्मण समाज को एकजुट करने के लिए सम्मेलन करा चुकी है. अखिलेश यादव इन दिनों गैर यादव ओबीसी वोट बैंक पर काम करते नज़र आ रहे हैं वहीं इसके साथ ही साथ ब्राह्मण समाज को भी सपा से जोड़ने की कवायद में जुटे हैं. यूपी में लगभग 42% ओबीसी वोट है और 12 फ़ीसदी ब्राह्मण. ऐसे में आने वाले 2022 के यूपी विधान सभा में ब्राह्मण मतदाताओं का आशीर्वाद किसे मिलेगा इस सवाल का जवाब अभी भविष्य के गर्भ में है.


 


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