कांग्रेस ने बीजेपी के चुनावी खर्चे पर उठाए सवाल, कहा- 'सोर्स की जानकारी का खुलासा करें'
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कांग्रेस ने बीजेपी के चुनावी खर्चे पर उठाए सवाल, कहा- 'सोर्स की जानकारी का खुलासा करें'

सेंटर फॉर मीडिया स्टडीज के अध्ययन के मुताबिक लोकसभा चुनाव में सभी दलों ने कुल मिलाकर 60,000 करोड़ रुपये खर्च किए और सत्तारूढ़ भाजपा ने अकेले इसका 45 प्रतिशत या 27,000 करोड़ रुपये खर्च किया. 

कांग्रेस ने भाजपा से कहा कि लोकसभा चुनाव में खर्च की गयी कथित 27,000 करोड़ रुपये की भारी रकम के स्रोत का खुलासा करना चाहिए.

नई दिल्ली: कांग्रेस ने शुक्रवार को भाजपा से कहा कि उसे लोकसभा चुनाव में खर्च की गयी कथित 27,000 करोड़ रुपये की भारी रकम के स्रोत का खुलासा करना चाहिए. विपक्षी दल ने चुनाव लड़ने वाले सभी दलों को बराबरी का मौका मुहैया कराने के लिए एक राष्ट्रीय चुनावी कोष की स्थापना करने की भी वकालत की. दलों द्वारा चुनावी खर्चें पर एक अध्ययन के आंकड़े का हवाला देते हुए कांग्रेस के प्रवक्ता अभिषेक सिंघवी ने कहा कि सरकार को चुनाव में रकम के इस्तेमाल और खर्च पर श्वेत पत्र लाना चाहिए.

सेंटर फॉर मीडिया स्टडीज के अध्ययन के मुताबिक लोकसभा चुनाव में सभी दलों ने कुल मिलाकर 60,000 करोड़ रुपये खर्च किए और सत्तारूढ़ भाजपा ने अकेले इसका 45 प्रतिशत या 27,000 करोड़ रुपये खर्च किया. कांग्रेस नेता ने दावा किया कि कुल रकम भारत के शिक्षा बजट का 30 प्रतिशत, स्वास्थ्य बजट का 43 प्रतिशत, रक्षा बजट 10 बजट और ग्रामीण रोजगार योजना मनरेगा का 45 प्रतिशत है.

उन्होंने कहा, ‘‘अगर दलों ने चुनाव में 60,000 करोड़ रुपये खर्च किए तो इसे दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र -भारतीय लोकतंत्र के लिए कतई अच्छा नहीं कहा जा सकता.’’ उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘‘हम भाजपा से स्पष्टीकरण की मांग करते हैं कि वह चुनाव में खर्च हुए कुल 60,000 करोड़ रुपये के 45 प्रतिशत - 27000 करोड़ रुपये की भारी रकम के स्रोत के बारे में बताए.’’ सिंघवी ने कहा, ‘‘कांग्रेस एक राष्ट्रीय चुनावी कोष की स्थापना की मांग करती है जिसमें कोई भी योगदान कर सकता है . कानून के मुताबिक तय प्रावधान के तहत मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों को चुनाव के समय कोष का आवंटन किया जा सकता है.’’ 

उन्होंने कहा, ‘‘चुनाव में बढ़ते व्यवसायीकरण और बड़े पैमाने पर धन के इस्तेमाल को देखते हुए सरकार को अपनी नीति स्पष्ट रूप से बताना चाहिए कि वह इसे रोकने के लिए क्या करना चाहती है. सरकार को इस मुद्दे पर श्वेत पत्र लाना चाहिए.’’ 

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